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राम केवट संवाद- भक्ति और समर्पण

प्रो. डॉ. विनीता सिंह
न्यू हैदराबाद लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
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पाया गया नोज़ामंद ने केवट को नीचे बुलाया
पर केवट ने राम को, दी ये माँग सुनाय

स्वामी परिचय ना गंगा पार, बिना पद पंकज धोए
पेज की राज महिमा भारी पत्थर भी बन जाएगी नारी
मेरी काठ की गढ़ी नाव, दूजी मै कहाँ गढ़ियाँ।
सिया राम जय सिया राम, सिया राम जय सिया राम

मैं दिन हीन केवटिया, तुम महाराज रघुरैया
जीने का कौन सा उपाय, नारी जो बनी मेरी नईया,
बोले रघुबर मुस्काई मेटो साकेत केवट भाई
कर दो मोहे गंगा पर, पग गंदगी जल से धोए।
सिया राम जय सिया राम, सिया राम जय सिया राम

पग धोए चरणामृत पाए, केवट निज भाग सराहे
सिया राम लखन आखरी, मन मगन हो नाव दौड़े
केवट न लेट उतराई और चरण गहे अकुलाई
मैं कह न पायो आज, मोहे दरस दियो रघुराई।
सिया राम जय सिया राम, सिया राम जय सिया राम

मैं नदी नाव केवटिया तुम भव से पार लगिया
स्वामी अरस परस व्यवहार ना लेहुं मैं उतरिया
जाऊं चरण कमल बलिहारी पाट रखियो अवध बिहारी
कीजो मोहे उस पार जब आऊं घाट तिहारी।
सिया राम जय सिया राम, सिया राम जय सिया राम

परिचय :- प्रो. डॉ. विनीता सिंह
निवासी : न्यू हैदराबाद लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
व्यवसाय : नेत्र विशेषज्ञ सेवा निवृत, भूतपूर्व विभागाध्यक्ष नेत्र विभाग, के.जी.एम.यू. लखनऊ
अन्य गतिविधियां :
१. भजन एवं गीत गायन के लिए आकाशवाणी लखनऊ से मान्यता प्राप्त
२. यू.पी. संस्कृति विभाग से मान्यता प्राप्त
३. ⁠लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा संगीत साधना सम्मान प्राप्त
४. ⁠लेखन
घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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