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दहेज

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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जब तुम मेरे घर आना,
अपने साथ थोड़ा
दहेज जरूर ले आना !!
कुछ अटैची, कुछ बक्से
जिनमे भरे हो तुम्हारे
बचपन के खिलौने,
तुम्हारे बचपन के कपड़े,
छुटपन की अठखेलियाँ
और सहजता
साथ ले आना !!

तुम्हारी पवित्र मुस्कराहट को
शृंगार की डिब्बे में भर लाना,
अपने चेहरे की आभा और
स्वयं की दृढ़ता भी साथ ले आना !!

कुछ बक्सों मे अपने संस्कार
अपनी संस्कृति साथ भर लेना!
थोड़ा प्रेम और करुणा का
आभूषण भी जरूर ले आना !!

कुछ अटैची में अम्माँ-बाबुजी का
आशीर्वाद और परिवार की
खूबसूरत बातेँ उनकी
यादें साथ में सहेज लाना !!

अपना दुःख और अपनी तकलीफें,
साथ ले कर आना, तुम्हारा
हम कदम बन तुम्हारी पीड़ा
आत्मसात कर लूंगा ऐसा भरपूर
विश्वास मन मे ले कर आना !!

सखी-सहेलियों की यादें,
कुछ स्मृतियों के
पन्ने भी रखना मत भूलना !!
तुम्हारे कुछ सपने
अधूरे रह गए होंगे
उनको पूरा करने का हौसला,
आजाद पंछी की तरह खुले
आकाश मे ऊंची उड़ान भरने का
साहस भी साथ ले आना !!

हाँ मैं मांगता हूँ “दहेज”
में तुम्हारे पिता से, तुम्हारा
परिवार की खुशियां और
उन सबका सम्मान
जिन बातों में हो,
वो सब बटोर लाना !!

तुम्हारी आत्मा की
वसीयत में मेरे हिस्से का
एक पन्ना अवश्य होगा,
मेरे लिए ये सारा
“दहेज” जरूर ले आना !!

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “जीवदया अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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1 Comment

  • किरन अवस्थी

    वाह, अत्यंत सुंदर संदेश , अद्भुत दहेज। ऐसे दहेज के मांग की अपेक्षा सभी से है।

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