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लागी लगन …

कमल किशोर नीमा
उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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मन मीत मेरे मन भावन की
लागी लगन शरण तेरी आवन की
मन मीत ….
ये दुनियाँ है गहरा सागर
भर न सका कोई पूरी गागर
जीवन पथ की इन उलझन में
मिली छाँव किसे सावन की
मन मीत ….
बन्दे जितने भेजे जगत् में
देकर अपनी वाणी
सबने अपने मन मत से
तेरी महिमा बखानी
मतभेदों की इस दुनिया में
भटक रहा है प्राणी
तेरी रचना तू ही जाने
कौन विधि तुझे पावन की
मन मीत ….

झूठी है ये जगत् की माया
नैनों ने अब तक मुझे भरमाया
परिणति है ये तेरी कृपा की
मन चाहत हरि गुण गावन की
मन मीत….

परिचय :- कमल किशोर नीमा
पिता : मोतीलाल जी नीमा
जन्म दिनांक :१४ नवम्बर १९४६
शिक्षा : एम.कॉम, एल.एल.बी.
निवासी : उज्जैन (मध्य प्रदेश)
रुचि : आपकी बचपन में व्यायाम शाला में व्यायाम, क्षिप्रा नदी में तैराकी और शिक्षा अध्ययन के साथ कविता, गीत, नाटक लेखन मंचन आदि में गहन रूचि रही है।
व्यवसाय सेवा : आप सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग. सन् १९६४ से सन् १९७० तक एवं सन् १९७१ से सन् २००६ तक के उद्योग जगत के साथ काम करते रहे। सेवा निवृत्ति के बाद ईश्वर की प्रेरणा से पिछले पांच वर्षों से भगवान का भजन आरंभ हुआ है। वर्तमान में लगभग २० भजन लिखे गए हैं, जिनमें १६ भजन यू ट्यूब पर संगीतकार द्वारा संगीतबद्ध करवा कर प्रसारित किए गए हैं जिन्हें यू ट्यूब सनातनम ​​भक्ति २एम स्टूडियो सर्च कर पृथक किया जा सकता है। अयोध्या में श्री राम मंदिर में श्री राम जी की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर टॉवर चौक पर भजन संध्या के अवसर पर आपके द्वारा लिखित भजनों की प्रस्तुति दी गई।

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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