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सावन

संजय कुमार नेमा
भोपाल (मध्य प्रदेश)

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आया सावन झूम के।
सावन की झड़ी संग,
बूंद-बूंद से मोती सजे।
देख नज़ारा सावन भी खुद,
महादेव को जल चढ़ाने आया।
बदरा ने भी ढोल बजाया।
आराधना के तीज त्यौहारों में,
महादेव भी चौमासे
के त्योहार लाये।
झरते झरने मन को
कितना रिसायें।
बरसे सावन की घटाएं,
मन को रिझायें।
नव-श्रंगार कर,
सखियां मिले।
मिलकर मन मोतियों
से झूला सजायें।
खुशियों मे सबका मन समाये।
उमंगों का झूला लहरायें।
उमड़ घुमण बरसे सावन,
बदरा ने भी ढोल बजाये।
झरते-झरने मन को रिझाये,
झूम के बरसे सावन की घटाएं।
पेड़ो की डाले भी झुक झुक जायें।।
हरियाली की बिछा चादर
धरा को घूंघट उड़ायें।
नाचे मेरा मयूर मन।
सावन की घटाएं मन
को इतना रिझायें।
झूमके बरसे सावन की घटायें।

परिचय :- संजय कुमार नेमा
निवासी : भोपाल (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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