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सर्वश्रेष्ठता

राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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चल उतर कर
देख एक बार
सीवर में, या
फिर गंदे नाले में,
फिर कितने दिन पी पाओगे
चाय स्वच्छ प्याले में,
लेकर स्वच्छ हाथ,
तब सोच पाओगे
कितना मुश्किल है
बनना, रहना
बनकर छोटी जात,
बिना शारिरिक श्रम,
पाया हुआ मुफ्त का धन,
मजे और धनवीर बन कर
खुद को कहना सर्वोच्च,
कर नहीं पा रहे हो
उच्चता का उन्मोच्य,
कभी कर के दिखा दो
खेतों में पूरा दिन भर परिश्रम,
फिर न कहना कि
टूट गया तन-मन,
छोड़कर मिथ्यात्मक
कहानियां सुनाना,
कितना कठिन है
मड़े से नए जूते बनाना,
परलोक ले जाने का तरीका
खुलकर बताओ वैज्ञानिकों को,
यदि सचमुच में
वजूद उन स्थानों का,
तो खोज लेंगे वे उन स्थानों को,
जैसे ढूंढ ले रहे हैं
खरबों मील दूर
रहने वाले नायाब ग्रह,
वे साबित भी करते हैं
और नहीं भरमाते
आपकी तरह झूठ
को सच कह कह,
आओ श्रीमान
एक बार ही सही
झूठ मूठ नाले में
उतरकर दिखाओ,
और अपनी
जन्मजात श्रेष्ठता को
सबके सामने
साबित कर दिखाओ।

परिचय :-  राजेन्द्र लाहिरी
निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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