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संकल्प

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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संकल्पों को शीश झुकाकर,
संस्कार को ग्रहण करो।
सद्गुण की माला फेरो तुम,
सत्कर्मों को वरण करो।।

मर्दन करके सदा दंभ का,
एक नया इतिहास गढ़ो।
पौरुष से जीतो इस जग को,
सत्य राह पर सदा बढ़ो।।
कुंठित मन के भाव त्याग कर,
नित उत्तम आचरण करो।

अंतर्मन विश्वास जगा कर,
साहस संयम धैर्य रहे।
शोषित जन के दग्ध हृदय में,
शीतल जल भी स्निग्ध बहे।।
दीनों के तुम बनो मसीहा,
तन की पीड़ा हरण करो।

स्वारथ के बादल उमड़े हैं,
मानवता की ज्योति जगा।
चीर-हरण रोको धरती का,
चंदन माटी माथ लगा।।
दुष्ट दानवों का वध करके,
वीरों का अनुसरण करो।

मायावी आँधी को रोको,
छल- प्रपंच से सदा बचो।
निष्ठाओं की डोर पकड़कर,
कोमल सुर संगीत रचो।।
सद्भावों की बाजे सरगम,
यह प्रण तुम आमरण करो।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “उत्कृष्ट न्यायसेवा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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