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गुरु को प्रणाम

हितेश्वर बर्मन ‘चैतन्य’
डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)
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मेरा गुरु मेरे लिए
पूज्यनीय है,
खुद से भी ज्यादा
आदरणीय है।
जिसने दिया मुझे
अनमोल ज्ञान,
वो ज्ञानी मेरे लिए
है सबसे महान।

मेरे गुरु ने मुझे भविष्य
की राह दिखाया है,
कँटीले रास्ते में भी शान
से चलना सिखाया है।
मेरे जीवन से जिसने
अंधकार को दूर किया है,
जिसने मेरे मस्तिष्क को
ज्ञान से भर दिया है।

प्रणाम उनके चरणों में
जिसने मुझे तालिम दी,
जिनके कृपादृष्टि से
मैंने विद्या हासिल की।
वो मेरे जीवन का
नित्य पथ प्रदर्शक है,
वो मेरे जीवन का
एक मार्गदर्शक है।

उनके चरणों में
कोटि-कोटि नमन,
प्रफुल्लित मन से
हार्दिक अभिनंदन।
गुरु-शिष्य का ये
पवित्र नाता अमर रहे,
पूरा संसार शिक्षक
दिवस मनाता रहे।

परिचय :-  हितेश्वर बर्मन ‘चैतन्य’
निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ – बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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