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बूझो तो जाने …साप्ताहिक पहेलियों की प्रथम किश्त

महादेव प्रसाद “प्रेमी”
गंगापुर सिटी, (राजस्थान)
********************

१.
नर शरीर धारण किया, मुख किया पशु सम्मान
प्रथम पूज्य देवता भए, पहेली है आसान।

२.
सुबह चाय के वक्त पड़ती है ज़रूरत तेरी,
थोड़ी-सी चिंता बढ़ती है मेरी,
जब तेरे आने में होती है थोड़ी-सी देरी।

३.
हम भाई बहन अनेक हैं,
मैं उनमें से एक,
अगर हम माँ के संग में ना रहें,
तो माँ को देते फेंकें।

४.
उल्टा किया तो हो गया राजी,
डाल दिया तो बन गयी भाजी,
सब ही मेरा उपयोग करते,
क्या मुल्ला क्या काजी।

५.
धोली धरती काला बीज,
बोवन वाला गाये गीत।

पहेलियों के क्रम डालकर आप जवाब कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं।
प्रकाशित पहेलियों के सही जवाब आप अगले सप्ताह प्रकाशित होने वाली पहेलियों की द्वितीय किश्त में पढ़ सकते हैं।

परिचय :-   महादेव प्रसाद “प्रेमी”
जन्म : १० जुलाई १९४९ ग्राम – परिता, तहसील – करौली, (राजस्थान)
निवासी : गंगापुर सिटी, (राजस्थान)
श्री महादेव प्रसाद “प्रेमी”, एक प्रतिभावान साहित्यप्रेमी, कवि एवं पहेलीकार हैं। आपका जन्म एक संभ्रांत अग्रवाल परिवार में हुआ। आपने प्राथमिक शिक्षा गंगापुर सिटी से प्राप्त की और इसके पश्चात प्रयागराज महाविद्यालय से आयुर्वेद रत्न (समकक्ष बी.ए.एम.एस.) की उपाधि प्राप्त की। जीवन के आरंभ से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के कारण आप धार्मिक साहित्य व रामायण पाठ में रुचि रखते थे। आपके परिवार में एक पुत्र, तीन पुत्रियाँ हैं। पुत्र एक योग्य ऑर्थोपेडिक सर्जन है तथा पुत्रियाँ सुस्थापित परिवारों में विवाहित हैं।
लेखन रुचि : आपको बचपन से ही कविता, पहेली और मंचीय हेला-ख्याल में विशेष रुचि रही है। आपने कई बार अंतरग्रामीय हेला-ख्याल प्रतियोगिताओं में सहभागिता कर सम्मान प्राप्त किया है। वर्ष २००४ में आपने बाल योगेश्वर जी प्रेमावत से ज्ञान ग्रहण किया और तभी से “प्रेमी” उपनाम से लेखन शुरू किया। आपका पहेली-संग्रह “बूझोबल” (प्रकाशन: किताबगंज, २०१९) ५०० से अधिक रोचक पहेलियों का संग्रह है, जो विशेषतः बाल-जगत एवं पाठकों के बौद्धिक विकास के लिए उपयोगी है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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