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सत्य की राह

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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सत्य साधकर गति करो, तब ही बनो महान।
केवल सच से ही बने, इंसाँ नित बलवान।।

सत्य चेतना को रखे, जिसमें रहे विवेक।
रीति-नीति को साध ले, रखकर इच्छा नेक।।

सत्य बड़ा गुण जान ले, इसका हो विस्तार।
जीवन में खिलते सुमन, बनकर के उपहार।।

सत्य सदा ही जीतता, गाता मंगल गीत।
इसको हम अब लें बना, अपने मन का गीत।।

सत्य सदा हित साधता, लाता है उत्थान।
जो चलता सद राह पर, सदा पूर्ण अरमान।।

सत्य धर्म का रूप है, जिसमें हैं भगवान।
सच के पथ पर जो चले, उसका हो यशगान।।

सत्य दमकता सूर्य-सा, देता जो आलोक।
जिससे होता दूर नित, जीवन का हर शोक।।

सत्य सुहाता है जिसे, उसकी हो जयकार।
कभी सत्य हारे नहीं, होकर के लाचार।।

सत्य एक है साधना, साधक हरदम वीर।
वक़्त संग परिणाम है, देखो बनकर धीर।।

सत्य सनातन मान्यता, सत्य बड़ा इक युद्ध।
जो लड़ता है झूठ से, बन जाता है बुद्ध।।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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