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स्लोगन

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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शिक्षा का ना कोई मोल।
जीवन बन जाये अनमोल।।

बाँटो सदा ज्ञान का प्रकाश।
मिलेगा मन को संतोषाकाश।।

बाँटो जितना बढ़ेगा उतनासंग
मिले सम्मान भी उतना।।

शिक्षक हमको शिक्षा देते।
जीवन की खुशियां भी देते।।

हर जन-मन एक वृक्ष लगाए।
हरी-भरी धरती मुस्काए।।

प्रदूषण को दूर भगाओ।
जन-जीवन को स्वस्थ बनाओ।।

ध्वनि प्रदूषण मत फैलाओ।
बीमारी को दूर भगाओ।।

जल जंगल जमीन बचाओ।
जिम्मेदारी आप निभाओ।।

कंक्रीट के जंगल बढ़ते।
कैसा मानव जीवन गढ़ते।।

ताल तलैया कुँए खो रहे।
खुशहाली के दौर रो रहे।।

बाग-बगीचे कहाँ बचे हैं।
केवल अब इनके चर्चे हैं।।

अब परिवार नहीं मिलते हैं।
बच्चे बालकपना खोते हैं।।

दादा-दादी, नाना-नानी।
इनकी केवल बची कहानी।।

पति पत्नी भी नये दौर में।
रहना चाहें अलग ठौर में।।

दौर हाइवे आज है आया।
वृक्षों की सामत है लाया।।

धर्म-संस्कृति का पोषक बनना।
निज जीवन को पावन रखना।।

मात-पिता आराध्य हमारे।
उनके बच्चे सबसे प्यारे।।

आपरेशन सिंदूर हुआ था।
पाकिस्तान बहुत रोया था।।

आपरेशन सिंदूर था भारी।
आई पाक के काम न यारी।।

सिंधु नदी का पानी रोका।
शूल पाक सीने में भोंका।।

भागम-भाग मचा जीवन में।
जैसे मानव है सदमे में।।

राजनीति का खेल निराला।
एक दूजा करता मुँह काला।।

राम अयोध्या आज पधारे।
रोशन हुए चौक-चौबारे।।

बच्चे समय से बड़े हो रहे।
नहीं किसी की बात सुन रहे।।

रिश्ते भी अब भाव खो रहे।
स्वार्थ सभी के बड़े हो रहे।।

मात-पिता लाचार हो रहे।
बच्चे उनसे दूर हो रहे।।

जाति-धर्म का खेल न खेलो।
ईश्वर अल्लाह आप न तोलो।।

राम रहीम में भेद नहीं है।
मानो कहना यही सही है।।

लव जिहाद का जाल है फैला।
जाने कितना मन है मैला।।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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