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जाड़ के दिन आगे

प्रीतम कुमार साहू ‘गुरुजी’
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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(छत्तीसगढ़ी कविता)

कथरी कमरा साल ओढे
लदलद जाड़ जनावय जी

सरसर सरसर हवा धुकत हे
जाड़ के दिन आगे जी

अघन पुश के जाड़ म संगी
दांत हर कटकटाथे जी

मुहु डहर ले कुहरा निकले
गरम जिनिस सुहाथे जी

सांझा बिहिनिया सित बरसे
घाम तापे बर जिवरा तरसे

चारो कोती कुहरा छागे
जाड़ मा सब मनखे जडा़गे

बार के अंगेठा अउ भुर्रि ला
मनखेमन आगी तापे जी

सेटर मफलर साल ओढ़े
गोरसी मा आगी तापे जी

जेन घाम हर गरमी म
सबो ला टोरस लागय जी

आज जाड़ म उही घाम हर
सबो ला घाते सुहावय जी

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू, गुरुजी (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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