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क्षणभंगुर और नश्वर तन को

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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क्षणभंगुर इस नश्वर तन,
को केवल ईश्वर चला रहा है।
तुझको सिमरन का अवसर
दे निज चरणों में बुला रहा है।
क्षणभंगुर और नश्वर तन को ….

ईश्वर की करुणा कृपा का
पूरा लाभ उठा ले बंदे।
प्रभु नाम सुमिरन हीं काटे
कटेगा, तेरे माया के फंदे।
तेरा पिता बाहें फैलाए
तेरी और निहार रहा है।
क्षणभंगुर इस नश्वर तन को ….

जन्म मरण से मुक्ति हेतु,
तुझको श्रेष्ठ योनि में भेजा।
निज स्वामी की सेवा देकर
उसने तेरा भाग्य सहेजा।
तेरा यशवर्धन के मित वो
प्रभु महिमा को लिखा रहा है।
क्षणभंगुर और जो दायित्व दिए हैं
तुझको उसने ही पूरे करवाए,
राम नाम लिखता लिखवाता
ये सत्कार उसे है भाए।
तुझसे प्रभु महिमा लिखवा कर,
शत भक्तों से गवा रहा है।
क्षणभंगुर और ….

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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