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भूल रहे घरेलू कला कौशलता

ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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न जाने क्यों
किन कारण से
दिन प्रतिदिन बदल गये
अधुनिकता के
रंग में ढल गए
नए रंगरूप में
उमंग-तरंग में चढ़ गए
घरेलू कला कौशलता
के नुस्खे भूल गए
आधुनिकता में
बेसुमार रम गए

घर की रसोईघर में
भोजन पकाने में
मिट्टी के सुंदर टिकाऊ चूल्हे
धुंए की लोहे की फुँकनी
मिट्टी के बने मनमोहक घड़े
तांबे पीतल के बने बर्तन
मसाले कूटने के मामजस्ते
काठ के बने चकले बेलन
कांच के अचार
रखने के व्याम
अनेकों सामानों को
अकारण उन्हें भूल गए

पकाने की पद्धति में
न जाने कितने पिछड़ गए
पौष्टिक आहार बनाने में
शिथिल पड़ गए
भोजनालय की सारी
पद्धति भूल गए
घरेलू स्वादिष्ट
भोजन छोड़
बाहर के स्वाद चखने में
बेधड़क रम गए
न जाने क्यों घरेलू
कला कौशलता
अधुनिकता के
चक्कर में भूल रहे
आधुनिकता के
गहराइयों में बेहिसाब
गहरे रम गए

परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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