
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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हर श्रद्धावान को अपने परिवार पर अथवा स्वयं पर आने वाली विपदा व आई हुई विपदा को दूर करने के लिए हर दिन घातनिपाती शिवस्तुति के इन १२ श्लोकों का पाठ अवश्य करना चाहिए। न बन सके तो हर सोमवार को इसका पाठ करें। सावन के महीने में तो इनकी फलश्रुति और भी अधिक महत्वपूर्ण है।
जय नन्दीश नदीश निधीश्वर नीर निशीश नटीश प्रभो।
चिर चण्डीश फणीश शशीधर शीश शिरीश शिखीश प्रभो।।
प्रिय पिण्डीश पतीशपतीश्वर वीर यतीश व्रतीश प्रभो।
मम संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।१।।
नव नीतीश क्षितीश सतीश्वर धीर सतीश सतीश प्रभो।
कलि कालीश कलीश कवीश्वर कीश करीश कटीश प्रभो।।
पद पाणीश परीश कपीश्वर ईश घटीश गतीश प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।२।।
जय मौलीश मनीष मतीश्वर मूल मुनीश महीश प्रभो।
जय गौरीश गिरीश गतीश्वर हीश हरीश तरीश प्रभो।।
जय दैवीश दिवीश दिगीश्वर द्वीश दिगीश गिरीश प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।३।।
जय वारीश निरीश तमीश्वर वेदि विधीश विधीश प्रभो।
जय भृंगीश सुधीश बलीश्वर चित्त चितीश क्षितीश प्रभो।।
जय वेदीश रतीश त्रिकीश्वर तुष्ट तमीश ऋषीश प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।४।।
शुभ सोमेश समेश स्वदेश्वर सेश सुकेश सशेष प्रभो।
सुर सर्वेश सुवेश सुरेश्वर सोम सुरेश सुरेश प्रभो।।
नट नारीश नरेश नटेश्वर द्वेष निशेश नखेश प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।५।।
विषवद्देश सुवेश रसेश्वर विश्व विशेष विभेष प्रभो।
दिवदिव्येश दिवेश दिनेश्वर शेष उमेश तमेश प्रभो।
भवभूतेश भवेश भयंकर भेद भगेश भटेश प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।६।।
नितनागेश नगेश नरेश्वर दारुकदेश वनेश प्रभो।
जय घुष्मेश यमेश महेश्वर मेष महेश मदेश प्रभो।।
जय विश्वेश गिरेश जलेश्वर केलि जयेश जटेश प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।७।।
जय ॐकार त्र्यम्बक मल्लिक भीम रसेश कुलेश प्रभो।
कुरु केदार मदार महाकलिकाल कराल विशाल प्रभो।।
जय वैद्येश बकेश बटेश्वर शेष बलेश विशेष प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।८।।
रम रामेश घटेश दिनेश्वर दीन दशेश खगेश प्रभो।
भुवि भावेश धनेश लतेश्वर प्राण उमेश उपेश प्रभो।।
जय लंकेश कुलेश कलेश्वर लोक कलेश बलेश प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।९।।
जय कैलाश प्रकाश प्रकाशक प्राश सकाश सकाश प्रभो।
इतराकाश बलाश विनाशक पाश हताश हुताश प्रभो।।
जय पिंगाश पलाश महाबल काश नकाश प्रणाश प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।१०।।
युग योगेश युगेश जगेश्वर गुप्त गुणेश गणेश प्रभो।
घट कोटेश लटेश जटेश्वर सुप्त मठेश वटेश प्रभो।।
बल बाणेश तृणेश क्षणेश्वर नैक कणेश रणेश प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।११।।
जगदुद्धारक नारकतारक मंगलकारक सार प्रभो।
युगसंहारक शूलप्रहारक मारक हारक क्षार प्रभो।।
अपरम्पारक कष्ट विदारण धारक हार मदार प्रभो।
हर संघातनिपात हराहर घातकपातक प्राण प्रभो।।१२।।
इति श्री कवि गिरेन्द्रसिंह भदौरिया प्राणाख्येन घातनिपाताय द्वादशश्लोकेषु विरचितं शिवनाम्नां “घातनिपातीशिवस्तुति” सोमवासरे, श्रावणमासे शुक्लपक्षे अष्टम्यां/ नवम्यां २०७८ विक्रमीसंवत्सरे शिवायलोकाय च समर्पयामि।
परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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