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अर्थ सहित उल्टी-सीधी अनूठी रचना

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 

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जीवालय अनुलोम
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नाहक हय खरगोश वकी मछली गो गज सेरह।
नाहर बकरी नाग खर सुअर, बारह कपि तेरह।।

शब्दार्थ :- नाहक=अनावश्यक, हय=घोड़ा, वकी=मादा बगुला, गो=गाय, गज=हाथी, सेरह=भेड़िया, नाहर=शेर, खर=गधा, कपि=बन्दर

अनुलोम का अर्थ
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स्वामी ने स्वामी से पूछा हमारे जीवालय में कुल कितने जीव हैं इस पर सेवक ने स्वामी को बताया कि आपने अनावश्यक ही अपने चिड़िया घर में कई पशु पक्षी जिनमें घोड़ा खरगोश बगुली मछली गाय हाथी भेड़िया शेर बकरी नाग गधा सभी एक एक व बारह सुअर एवं तेरह बन्दर पाल रखे हैं।

यलवाजी-विलोम
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हरते पिक हर बार असुर खग, नारी कब रहना।
हरसे जग गोली छमकी वश, गोरख यह कहना।।

शब्दार्थ :- हरते=चुरा लेते हैं, पिक=कोयल, असुर=राक्षस, खग=पक्षी, रहना=बचना, हरसे=प्रसन्न होता है, गोली=भोग्या दासी, छमकी वश=बन्दूक के वश में

विलोम का अर्थ
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मालिक ने कहा कि जाकर गोरख जी को बताओ कि यह संसार गोली बन्दूक के कारण या छमकी दासी से ही प्रसन्न रह सकता है वरना राक्षस तो हर बार पक्षी, स्त्री और खासकर कोयल का हरण कर लेते हैं ये कब और कैसे बचें ? यह चिन्ता का विषय है।

परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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