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शिव की उपासना

अनन्तराम चौबे “अनन्त”
जबलपुर (म.प्र.)
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शिव उपासना करूं वंदना
शिव की भक्ति है आराधना।
शिव शंकर भोले भंडारी से
मन से करूं हमेशा प्रार्थना।

शिव की भक्तिं करूं वंदना
मां पार्वती हैं दुर्गा शक्ति।
शिव पार्वती दोनों की है
पूरे ब्रह्मांड की अद्भुत शक्ति।

शिव शंकर भोले भंडारी
लीला सबसे उनकी न्यारी।
जगत पिता सारे जगत के
महिमा भी उनकी न्यारी है।

सिर की जटाओं में चंद्र विराजे
गले में काले नाग की माला।
शरीर में भस्म लपेटे रहते
पहनते हैं बस वो मृगछाला।

हाथ में त्रिशूल लटकता डमरू
रूद्राक्ष की साथ में माला।
बंद नेत्र तीसरा माथे पर हैं।
जय जय जय शंकर भोला।

पार्वती संग कैलाश विराजे
शिव शंकर भोले भंडारी।
शिव वंदना करूं मैं उनकी
नंदी भोले जी की सवारी।

कार्तिक और गणेश पुत्र हैं
पुत्री उनकी अशोक सुन्दरी है।
शिव और पार्वती की लीला
सारे जगत से न्यारी हैं।

.परिचय :- अनन्तराम चौबे “अनन्त”

पिता : स्व. श्री रामदयाल चौबे
माता : श्रीमति रामकली बाई
निवासी : जबलपुर म.प्र.
जन्मतिथि : २१/०२/१९५२
शिक्षा : हाई स्कूल पास
सेवा निवृत्य : फ़रवरी २०१२ में रेलवे सुरक्षा बल जबलपुर से सेवा निवृत्य
सम्मान : दिनांक २०१७ से २०२० तक ३९ माह में ३११ सम्मान
लेखन : १९७० से काव्य लेखन शुरू किया, २०२० में २४६८ कविता रची आपकी ८० कवितायें जबलपुर, इन्दौर, कानपुर श्रीगंगानगर-राजस्थान,होशंगाबाद और अमेरिका के हम हिन्दुस्तानी पेपरों में प्रकाशित हुई हैं। दूरदर्शन केन्द्र भोपाल मध्यप्रदेश पर कविताओं का प्रसारण हुआ।
प्रकाशन : पांच काव्य संग्रह स्वमं के प्रकाशित, करीब दो दर्जन संयुक्त कार्य संकलन, हजारों कवितायें देश के कई पेपर पत्रिकाओं में प्रकाशित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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