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बिटिया

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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माँ से बिटिया का
स्नेह होता है लाजवाब
बिटिया को सुलाती
अपनी गोदी में
लगता है जैसे
फूलों के मध्य
पराग हो झोली में।

माँ की आवाज
कोयल सी
और बिटिया की
खिलखिलाहट
पायल की
छुन-छुन सी
लगता है जैसे मधुर
संगीत हो फिजाओं में।

माँ तो ममता की
अविरल बहती नदी
बिटियाँ हो जैसे
कलकल सी आवाज
निर्मल पावन जल की
लगता है जैसे पूजते
रहे सदियों से इन्हे।

माँ होती चांदनी सी
बिटिया हो सूरज
की पहली किरण
दोनों देती है रौशनी
अपने-अपने
पथ/कर्तव्य की
लगता हो
जैसे भ्रूण-हत्या
का अंधकार
हटा रही हो

माँ-बेटी से
जन्म लेते है
कई रिश्ते
ये होती है
समाज का आधार
दोनों के बिना
होता है जीवन सूना
लगता है जैसे इनमे
बसती जीवन की सांस।

परिचयसंजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा : आय टी आय
निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश)
व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “संकल्प शिरोमणि राष्ट्रीय सम्मान २०२३” से सम्मानित, भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता : शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच इंदौर (म.प्र.)
काव्य पाठ : काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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