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अनुभव

छत्र छाजेड़ “फक्कड़”
आनंद विहार (दिल्ली)
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कहा गया है
चलती का नाम है
जिंदगी
इंसान चलता है
ता-उम्र
पर… क्या
सब को मिलती है मंजिल….

इंसान
चलता है
कदम दर कदम
पर… मंज़िल दूर रहती है
खिसकती रहती है राहें
सिसकती रहती है डगर
न जाने कितने
चाहे-अनचाहे
आते हैं उतार-चढाव
जिंदगी की दुर्गम राहों में…..

कहीं उपस्थित है
उन्नत श्रृंग शिखर सी
विकट समस्यायें
कहीं उछल रहे हैं
दंश मारने को आतुर
फुँफकारते विपदा नाग
कभी
रजनी का स्याह तमस
कभी
आंनद ओतप्रोत
उर्जावान दीप्त दिवाकर
कहीं
खुशियों के
लहराते सागर…..

समेटे है
अपने आप में
ये सर्पीली राहें
पग पग कटींली राहें
कभी मिलते हैं
सुरभित उपवन तो
कहीं उगे हैं
सरल,गरल, तरल
सलिल सींचित कैक्टस
मिश्रित अहसास लिए
साथ साथ दौड़ती राहें
मगर… मंजिल से पहले
बहुत कुछ समझाती है
ये पथरीली
चटकती, फिसलती राहें…

बस
मिलते हैं
महसूस करने को
मन के अहसास
नरम-गरम
खट्टे-मीठे
शुभ-अशुभ
अच्छे-बुरे
अनुभव के अहसास
जो सक्षम बना देते हैं
इंसान को
जानी-अनजानी विकट राहों पर…!

परिचय :- छत्र छाजेड़ “फक्कड़”
निवासी : आनंद विहार, दिल्ली
विशेष रूचि : व्यंग्य लेखन, हिन्दी व राजस्थानी में पद्य व गद्य दोनों विधा में लेखन, अब तक पंद्रह पुस्तकों का प्रकाशन, पांच अनुवाद हिंदी से राजस्थानी में प्रकाशित, राजस्थान साहित्य अकादमी (राजस्थान सरकार) द्वारा, पत्र पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशन, राजस्थानी लोक गीतों के लिए प्रसिद्ध कंपनी “वीणा कैसेटस” के दो एलबमों में सात गीत संगीतबद्ध हुये हैं।
सम्मान : “राजस्थानी आगीवान” सम्मान से सम्मानित
श्री गंगानगर के सृजन साहित्य संस्थान का सृजन साहित्य सम्मान व
सरदारशहर गौरव (साहित्य) सम्मान व अनेक अन्य सम्मानरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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