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अनुपम आभा

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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अनुपम आभा बिखराएगी,
दीपयुक्त शुभ थाली।
अंतः का तम दूर हटेगा,
तब होगी दीवाली।।

पंच तत्त्व निर्मित काया पर,
पहरे बहुत, गुमी आजादी।
क्षणभंगुरता जीवन का सच,
भूला मन लिप्सा का आदी।।

मोह-लोभ की महाव्याधि में,
अतिवादी मानव जकड़ा है।
अहंकार के पिँजरे में मन,
चेतन खो, बन सुआ खड़ा है।।
काम पिपासा में है डूबे,
आत्मबोध तज प्रभुतावादी।

पंच तत्त्व निर्मित काया पर,
पहरे बहुत, गुमी आजादी।।

गठरी सिर पर रखे पाप की,
जग में भटके नश्वर काया।
मर्यादा की रेखा टूटी,
छल जाती रावण-सी माया।।
अमल दृष्टि छल भेद न पाती,
याचक हैं या अवसरवादी।

पंच तत्त्व निर्मित काया पर,
पहरे बहुत, गुमी आजादी।।

सत्यं-शिवम-सुंदरम भूला,
परहित राह नहीं पहचानी।
कर्म -फलन है सद्गति-दुर्गति,
काल करे हरदम मनमानी।।
यम का पाश सदा है कसता,
मनुज दीन रोता अवसादी।

पंच तत्त्व निर्मित काया पर,
पहरे बहुत, गुमी आजादी।।

भेदभाव, झगड़े-झंझट जब,
सारे मिट जाएँगे।
फैलेगा नूतन प्रकाश तब,
नवल भोर पाएँगे।।
लेंगे जब संकल्प नए हम,
होगी रात न काली।

अनुपम आभा बिखराएगी,
दीपयुक्त शुभ थाली।।

सुखद शान्ति के फूल खिलेंगे,
सतरंगी बगिया में।
भोजन वसन प्रचुर हो जनहित,
मानव को दुनिया में।।
मानवता की जोत जलेगी,
आएगी खुशहाली।

अनुपम आभा बिखराएगी,
दीपयुक्त शुभ थाली।।

सच्चाई की पूजा होगी,
सत्कर्मों की माला।
कर्मयोग संचालक कान्हा,
राधा सम भव बाला।।
रामराज्य संचारित जग में,
समरसता की लाली।

अनुपम आभा बिखराएगी,
दीपयुक्त शुभ थाली।।

नेह-सिक्त शुभ संबंधों से,
महकेगा जग सारा।
कोण-कोण रसधार बहेगी,
घर-घर भाईचारा।।
देख प्रफुल्लित प्रीति-वाटिका,
पुलकित होगा माली।

अनुपम आभा बिखराएगी,
दीपयुक्त शुभ थाली।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “उत्कृष्ट न्यायसेवा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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