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यूँ कागज पर लिखने से क्या फ़ायदा

इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
गोरखाना, नोहर (राजस्थान)
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यूँ कागज पर लिखने से क्या फायदा,
बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं,
तुमने पत्थर सा दिल कह तो दिया,
पत्थर पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं।

मैं तो दसतपा था फिर क्यों बुलाया,
तन पर मधुमास लपेटे हुए,
शरद की शीत में कमल मुरझाया,
प्यास तन में लिए हुए।
तुमने मुँह छिपाया तो ऐसा लगा,
अब सूरज उगेगा नहीं….
यूँ कागज पर लिखने से क्या फायदा,
बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं।

मैं बसंत की तीज मना लुँगा,
तुम्हें कौन ऋतु बसंती बताएगा।
तुम अपनी धरोहर तो दिखा,
तुम्हारी धरोहर दिल में बसा लुँगा,
यूँ नयनों में नयन मत डालना,
फिर ये दिल किसी की मानेगा नहीं।
यूं कागज़ पर लिखने से क्या फायदा,
बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं,
तुमने पत्थर सा दिल कह तो दिया,
पत्थर पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं।

आँख बंद की तो तुम लैला सी लगी,
आँख खोली तो मूमल सी लगी,
शांत एकांत में सोचा तो मरवण सी लगी,
प्रेम की लकीर पर ध्यान रखो,
मन कहीं भी रहें पर भुलेगा नहीं।
यूँ कागज पर लिखने से क्या फायदा,
बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं,
तुमने पत्थर सा दिल कह तो दिया,
पत्थर पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं।

परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग “नोहरी”
उपनाम : “नोहरी”
पिताजी का नाम : श्री भानीराम सिहाग
माताजी का नाम : कांता देवी
अर्धांगिनी का नाम : माया देवी
जन्म दिनांक : १३/०७/१९९१
सम्प्रति : शिक्षक
शिक्षा : दो बार स्नातकोत्तर, बीएड
निवासी : गोरखाना तहसील नोहर ज़िला- हनुमानगढ़ (राजस्थान)
प्रकाशित रचनाएं : “समरसता के अग्रदूत” साझा काव्य संकलन मुख्य सम्पादक, “सृजन सागर के मोती” साझा काव्य संकलन उपसंपादक, “इंद्र का जाल” प्रकाशन ज़ारी… वर्तमान में विश्व हिंदी सृजन सागर मंच के बतौर अध्यक्ष
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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