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कुछ दूरियाँ बना लो … सब लोग क्या कहेंगे …

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 

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होती नहीं उजागर, तो और बात होती।
होती जो बात घर पर, तो और बात होती।।

पहरे लगे हुए थे, वातावरण था भय का,
होता नहीं अगर डर, तो और बात होती।।

कुछ दूरियाँ बना लो, सब लोग क्या कहेंगे,
होते कहीं जो बाहर, तो और बात होती।।

सरनाम थे कभी जो, बदनाम इश्क में हैं,
करते न प्यार पथ पर, तो और बात होती।।

मन में दबा रखी है, हर बात बावरी ने,
होती जो बात खुलकर, तो और बात होती।।

आकाश के सितारे, लटके हुए टंँगे हैं,
बसते अगर धरा पर, तो और बात होती।।

कैसा सवाल था यह, तुम भी न कर सके हल,
देते सटीक उत्तर, तो और बात होती।।

पानी यहाँ कहाँ है, मरुथल मलाल का है,
मिलता अगर सरोवर, तो और बात होती।।

यह जान भी न जाती, नुकसान भी न होता,
लाते जो “प्राण” को घर, तो और बात होती।।

परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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