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देह से परे

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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काया से परे,
एक स्त्री के भूगोल को
जान पाए हो कभी ?
उसके भीतर उलझी हुए
सडकों को कभी
समझ पाये हो क्या ?
एक खौलता हुआ
इतिहास है भीतर उसके,
क्या पढ़ पाये हो कभी!!

नहीं समझ पाये
आज तक उसको
रसोई और घर-परिवार से
परे भी एक दुनिया है उसकी,
पुरुष से परे क्या उसकी
जमीन समझा
सकते हो उसको ?

सदियों से तितर-बितर हुई
ढूंढ रही अपने घर का
पता बता सकते हो उसे ?

कभी विस्थापित कभी
निर्वाचित हुई उसके
सम्मान को समझा
सकते हो समाज को?

उसकी दहलीज पर
पड़े मौन शब्दों को
जाना है कभी ?

इस कुरुक्षेत्र में कई बार
छली गई उसके मर्म की
अनुभूति तुमको हुई है कभी ?

उसकी पीठ पर पड़े
अनगिनत गांठों को
टटोला है तुमने,
नहीं ना …..?
वो कहना चाहती है”
“इस देह से परे भी
स्त्री की एक दुनिया है!!

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “जीवदया अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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