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सीख

किरण विजय पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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फूलों से सीखा मैंने है महकना।
पेड़ों से सीखा मैंने है झुकना।
नदीयो से सीखा बढ़ते है
रहना, धरती से सीखा धैर्य है रखना,
आकाश से सीखा मौन है रहना,
पशु पक्षी से सीखा नियम में चलना।
संतो से सीखा संयम में रहना,
गुरु से सीखा आत्मा में रमना,
कांटों से सीखा सम्भल कर चलना।
शत्रु से सीखा कूटनीति का ज्ञान,
दोस्त से सीखा का स्नेह और प्यार,
मां से सीखा संस्कारों का ज्ञान,
पिता से सीखा दुनिया की पहचान।
प्रकृति का कण-कण हमें दे रहा है सीख,
गुढ़ रहस्य उसमें छुपा,
ज्ञान ध्यान और योग।

परिचय : किरण विजय पोरवाल
पति : विजय पोरवाल
निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स
व्यवसाय : बिजनेस वूमेन
विशिष्ट उपलब्धियां :
१. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित
२. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित
३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “साहित्य शिरोमणि अंतर्राष्ट्रीय समान २०२४” से सम्मानित
४. १५००+ कविताओं की रचना व भजनो की रचना
रूचि : कविता लेखन, चित्रकला, पॉटरी, मंडला आर्ट एवं संगीत
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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