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तन्हाई के सायें

डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
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वो मुझे तन्हा कर गयी
मुझे छोड़कर किसी
और पर फिदा हो गयी।
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तन्हाई मुझे बहुत
सताती है।
हर वक्त उसकी
याद आती हैं।
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पता नहीं क्या कमी
थी मेरे प्यार में
जो मुझे तन्हा छोड़
गयी इस संसार में।
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अब तो मैने तन्हाई
को अपना दोस्त
बनाया है।
जुदाई के घाव पर
यह मरहम लगाया है।
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वक्त नहीं कटता
तन्हाई में
बड़े दुख मिले
मुझे बेवफाई में।
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भगवान किसी को
तन्हा न करें।
किसी को अपने प्यार
से जुदा न करें।
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कोई कभी तो
शिकायत करे।
बेवफा बनकर
तन्हा न करे।
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परिचय : डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।

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