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अटरिया

डॉ. गुलाबचंद पटेल
अहमदाबाद (गुजरात)
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कारे-कारे बदरा रे,
तुम मत आना मेरी अटरिया पर
मे नीद मे सोया था
सपना मे खोया था

कारे कारे बदरा रे,
हमे नीद से क्यू जगाया रे?
हमने सुन्दर सपना देखा था
तुमने सपना क्यू तोड़ दिया रे?

आकर मेरी अटरिया पर
तुमने हमे क्यू जगाया रे?
सपने में वो आई थी,
क्यू तुमने भगा दिया रे?

बदरा तुम पापी हे
आंखो से नीद भगा दी रे
कभी तुम पवन संग आया रे
प्रीत का संदेश तुम लाया रे

पवन संग हमे भगा ले गया रे
बारिश के संग प्रिया को पाया रे

कारे कारे बदरा तुम
मेरी अटरिया पर जरूर आना.
प्रिया का संदेश तुम जरूर लाना

परिचय :-  डॉ. गुलाबचंद पटेल
निवासी : अहमदाबाद (गुजरात)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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