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अवनी

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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महामारी में बहू की मृत्यु के बाद और बेटे की नौकरी छुटने के बाद भी सविता काकी ने हार न मानी गांव की महिलाओं के कपड़े सीने के कारण सब उन्हें सविता काकी कहते सविता अपने बेटे को हिम्मत दिलाने के साथ कक्षा सातवीं में पढ़ रही अपनी पोती अवनी को भी दुलारती अच्छी बातें कहती शाला में सारी खेल सुविधाएं होने के कारण अवनी अच्छा निशाना लगाती, पढ़ाई में भी तेज और अन्य गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करती शिक्षकों ने उसकी लगन देखकर उसे तीरंदाजी के लिए अन्य शहरों में भेजा अवनी वहां प्रथम आई हर दिन उसे प्रोत्साहित करती घर पर सिमित साधनों से वह निशाना लगाती पिता सब देख खुश होते पर बेरोजगारी की टीस उन्हे झकझोर देती अन्य चार शहरों में प्रथम आने के बाद शाला की ओर से उसे राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में भेजा इस प्रतियोगिता में भी अवनी अव्वल रही राज्य शासन ने अवनी को अंतर देशी प्रतियोगिता के लिए तैयार किया दादी को गांव वालों के ताने सुनने पड़ते परंतु दादी दृढ़ थीं अवनी को प्रतियोगिता के लिए बाहर भेजा गया वहां भी अवनी ने अपने देश का नाम ऊंचा किया और स्वर्ण पदक प्राप्त किया राज्य शासन ने अवनी की पढ़ाई का जिम्मा लिया और पिता को भी नौकरी दी दादी बहुत खुश थी।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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