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एक आवाज़ ऐसी भी
कविता

एक आवाज़ ऐसी भी

सपना मिश्रा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** पूछा एक दिन मैंने, मेरे अंदर छुपी आत्मा से कि, क्या मैं तुम्हें सुन पा रही हूँ। पूछा एक दिन मैंने, मेरी आखों से कि, क्या मेरे अंदर छुपे दर्द को मैं देख पा रही हूँ । अंदर से ग़ुस्से में एक आवाज़ आयी, जिसे सुनकर ऐसा लगा जैसे नाराज़ हो मुझसे मेरी अंर्तरआत्मा सालों से और मुझसे कभी बात नहीं करेगी। बहुत मानने पर मानी वो उस दिन। फिर बोली ! आज कल तुम बहुत बदल गयी हो। मुझे सुनकर भी नहीं सुनती हो तुम। मुझे देखकर भी अनदेखा करती हो तुम। जाने कहाँ खोयी रहती हो आजकल तुम। तुम तो ऐसी बिल्कुल भी ना थी। अब तो ना ही तुम मुझे सुनती हो, ना ही देखती हो। याद है वो दिन जब तुम मुझसे घंटों बातें किया करती थी अकेले में बैठकर। कितना हंसते थे हम दोनों एक दूसरे को सुनकर, देखकर और महसूस करके। अचानक तुमको क्या हो गया, जो तुम इ...
शिक्षक सम्मान
कविता

शिक्षक सम्मान

विजय गुप्ता दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** आजीवन ना भूलना, शिक्षक वृंद महान। शिक्षा ज्ञान सीख मिली, छात्र चढ़े परवान।। जिनका ऋण अदा नहीं, ऐसा है अवदान। गुरु दक्षिणा में मिली, राहों की पहचान।। परिपक्वता सतत बढ़े, परख और व्यवहार। जीवन पड़ाव को मिला, सुंदरतम साकार।। शिक्षकगण को मानते, मोती का ही रूप। गोता बल लगता जहां, पाए भी अनुरूप।। एक दिन का मान नहीं, जीवन भर अभिमान। गुरु बनते जो आपके, सुखद लक्ष्य का ध्यान।। गुरु ज्ञान सम तत्व का, दिल से है आभार। सत्य राह जो भी चले, शिक्षक पर उपकार।। शब्द संयोजन कम पड़े, जय गुरुवर बखान। सच्चे दिल से शब्द झरे, होगा गुरु सम्मान।। परिचय :- विजय कुमार गुप्ता जन्म : १२ मई १९५६ निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़ उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा...
गौमाता की पुकार
कविता

गौमाता की पुकार

इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" गोरखाना, नोहर (राजस्थान) ******************** गाय गुणो की खान है, जाने जानन हार। अमृत समान दुध मिलता, सबकाबेङा पार। औ मूरली वाले सुणले अब पुकार, तेरे बिना मरु में अब तो लेले अवतार।। आपकी गईयो के क्या हो गया कन्हैया, हर एक के बदन पर हो गया गंठिया। पीङा, क्रंदन को सहते रोज जाती बैकुंठ , आंसू टेरती पुकारती कहां छुप गया कन्हैया।। इन गईयों ने कब किसी को दर्द दिया , जग में यूं नहीं कहलाई कामधेनु गईया । जग जीवन को नवजात की तरह पाला , आपकी गईया पुकारती है कृष्ण कन्हैया।। परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग "नोहरी" उपनाम : "नोहरी" पिताजी का नाम : श्री भानीराम सिहाग माताजी का नाम : कांता देवी अर्धांगिनी का नाम : माया देवी जन्म दिनांक : १३/०७/१९९१ सम्प्रति : शिक्षक शिक्षा : दो बार स्नातकोत्तर, बीएड निवासी : गोरखाना तहसील नोहर ज़िला-...
मैं शिक्षक हूँ
कविता

मैं शिक्षक हूँ

शैल यादव लतीफपुर कोरांव (प्रयागराज) ******************** हाँ, मैं शिक्षक हूँ! मैं ही बनाता चिकित्सक, अभियंता, नीतियों को बनाने वाला नियंता, दाता हूँ, शिक्षा का, ज्ञान का, और हूँ, मैं ही अज्ञानता का हंता, कभी कुंभकार के कच्चे कुंभ की तरह, ठोकता हूँ‌, पीटता हूँ, तरासता हूँ, कभी ज्ञान का, अनुशासन का, उपहार दे बन जाता संता, जीवन हो सफल कैसे? उसका मैं वीक्षक हूँ, हाँ, मैं शिक्षक हूँ! मैं ही बनाता वक्ता, प्रवक्ता, अधिवक्ता, न्यायाधीश, मैं ही बनाता डीएम एसएसपी दारोगा पुलिस, मैं ही बनाता चालक, परिचालक, संचालक और उड़ाने वाला हरक्यूलिस, मैं ही सिखाता क्रिकेट कबड्डी कराटे कुश्ती फुटबॉल हांकी और टेनिस, नैतिक मूल्यों का मैं नियमित निरीक्षक हूँ, हाँ, मैं शिक्षक हूँ! मैं ही हूँ शिखर तक पहुंचाने वाला, क्षमाशील, कर्तव्यनिष्ठ, मै‌ ही हूँ गुरु द्रोणाचार्य, ...
मेरा भारत साक्षर कहलाएगा
कविता

मेरा भारत साक्षर कहलाएगा

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आओ भारत को साक्षर बनाएँ लेकिन क्या चैतू बैशाखू,बिमला के, नाम मात्र लिख लेने से, मेरा भारत साक्षर कहलाएगा। नहीं, नहीं बिल्कुल भी नहीं, मेरा भारत तब साक्षर कहलाएगा, जब भारत का हर एक बच्चा पढ़ लिखकर अपना नाम कमाएगा।। झिल्ली बीनने वाली मुनिया भी जब बस्ता पकड़ स्कूल जाएगी। अच्छी शिक्षा प्राप्त कर नाम कमाएगी तब मेरा भारत साक्षर कहलाएगा।। कबाड़ खरीदने वाला बुधारू भी स्कूल से जुड़कर शिक्षा पाएगा। नित नई ऊँचाइयों को छू जाएगा तब मेरा भारत साक्षर कहलाएगा।। फुटपाथ पर पलने वाला हर एक बच्चा, भी जब शिक्षा पाएगा उनमें भी अनुशासन, संस्कार आएगा तब मेरा भारत साक्षर कहलाएगा।। खेतों के कामगार, रेस्तरां में हाथ बंटाने वाले झोपड़पट्टी के रहवासी, श्रम के बूँद बहाने वाले सब स्कूल से जुड़ जाएँगे, ...
विकास के नाम से सुना था
कविता

विकास के नाम से सुना था

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** विकास के नाम से सुना था पर उसका भी दामन खाली है किसे सुनाऊं अपनी व्यथा जीवन अब बदहाली है वित्तीय सहायता का मन स्वाली है कोई दे नहीं रहा हैं क्योंकि सभका दामन खाली है किसे सुनाऊं अपनी व्यथा वित्तीय रूप से बिफोर कोरोना मैं बहुत सुदृढ़ था यूं खाली हो जाऊंगा पता न था दुकान में ग्राहक नहीं है ग्राहक के पास पैसा नहीं है सभका पैसा ऐसा चला जाएगा ऐसा बिल्कुल पता न था सुनते हैं मीडिया से हमारा राष्ट्र कर रहा है आज बहुत विकास डिजिटल के बहुत आयाम हो रहे हैं ख़ास ऐसा जोरदार विकास होगा बिल्कुल भी पता न था व्यक्तिगत विकास के लिए हो जाऊंगा मैं मोहताज़ ऐसा बिल्कुल पता न था कैसे सुनाऊं अपनी व्यथा बैंक अकाउंट खाली है ज़मा पूंजी पूरी उठाली है हालात ख़स्ता दामन खाली है परिचय :- किशन सनमुखदास भाव...
मोक्ष पथ को जाने
गीत, भजन

मोक्ष पथ को जाने

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गीत/भजन छोड़ दो मिथ्या दुनियां, सार्थक जीवन के लिए। इससे बड़ा सत्य कुछ, और हो सकता नहीं। चाहत अगर प्रभु को पाने की हो । तो ये मार्ग से अच्छा कुछ, और हो सकता नहीं।। छोड़ दो.......।। मन में हो उमंग प्रभु को पाने की। करना पड़ेगा कठिन तपस्या तुम्हें। मिल जाएंगे तुमको प्रभु एक दिन। बस सच्ची श्रध्दा से उन्हें याद करो।। छोड़ दो........।। आत्म कल्याण का पथ ये ही हैं। बस इस पर चलने की तुम कोशिश करो। मोक्ष का द्वार तुम को मिल जाएगा। और जीवन सफल तेरा हो जाएगा।। छोड़ दो.......।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindir...
है हर कदम पर चोट
कविता

है हर कदम पर चोट

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** राह छोड पगडंडी मत चलो। पगडंडी आगे सकरी हो जावेगी जिंदगी में डरो ना किसी से जिंदगी शर्मसार हो जावेगी। समय समर में समीर कड़वाहट भरी होगी कटु घूंट पीकर तुम फिर मिठास घोलोगी करो प्रतिज्ञा मन में कोई सुने ना सुने कोई रुलाए चाहे जितना तुम्हें हंसी हंसनी होगी। है हर कदम पर चोट, है हर कदम पर कसौटी रत हो चलना, रत हो गाना जीवन की यह बानी होगी होगा कोई अपने में ही उलाहने देने वाला। कदम दर कदम कचोटेगा मन। गलत कुछ कोई करने वाला। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३...
मधुवल्लरी छंद
छंद

मधुवल्लरी छंद

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** विधान : मात्रिक छंद (मापनी युक्त) २१ मात्राएँ चार चरण : दो-दो चरण समतुकांत। मापनी : २२१२ २२१२ २२१२ आभास हो संसार हो मनमोहना। मस्तक मुकुट है रूप है प्रभु सोहना।। वंदन करूँ मैं साँवरे सुखधाम हो। कर जोड़ विनती मैं करूँ निष्काम हो।। सुमिरन रहे प्रभु प्रीति भी कल्याण हो। आशीष तेरी मिलती रहे उर प्राण हो। कान्हा हरो सब पीर सुख अविराम हो। आलोक फैले जग सुखद परिणाम हो।। लो थाम अब नैया भँवर है जान लो। पतवार हो कान्हा हमें पहचान लो।। आत्मा करो पावन किशन परमात्म हो। मीरा बनूँ जिह्वा सदा प्रभु नाम हो।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा,...
शिक्षा ज्योति जलायें
कविता

शिक्षा ज्योति जलायें

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** उज्जवल ज्ञानपुंज हैं शिक्षक, सबको राह दिखाते। सारे जग को जीवन जीना, गुरुवर सदा सिखाते। काला अक्षर भैंस बराबर, सारी दुनिया कहती। जो आबादी अभी अशिक्षित, वो यह पीड़ा सहती। अंधकार को दूर भगा कर, गुरु प्रकाश करते हैं। तम से भरे हृदय में हरदम, गुरु उजास भरते हैं। नीरस मन रसधार बहाकर, सरस भाव भरते हैं। बालक की मर्मान्तक पीड़ा, शिक्षक ही हरते हैं। मोम सदृश्य जो अपने तन को, हरदम पिघलाते हैं। स्वयं शिष्य को शिक्षा देकर, श्रीहरि दिखलाते हैं। दीप ज्योति से जलकर शिक्षक, तम को दूर भगाते। सुप्त भाव अंतस में जितने, गुरु ही उन्हें जगाते। जगत नियंता राम, कृष्ण भी, गुरु को शीश नवायें। गुरु की गुरुता करें उच्चतर, जगतगुरु बन जायें। रहे हिमालय सी ऊँचाई, सागर सी गहराई। गुरु विस्तारित नील गगन से, महि...
शिक्षक की महिमा
कविता

शिक्षक की महिमा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** जो शिक्षा दे, शिक्षक कहलाता। शिक्षा की महिमा अपरंपार। शिक्षक की गरिमा गाथा। अति निराली इतिहास में प्रमाण। शिक्षक वर्णों का ज्ञान प्रारंभ कर। छात्रों को व्यापक ज्ञान की ओर। ले जाता। एक प्रेरणा स्त्रोत बन। प्रगति मार्ग पर प्रशस्त कर। छात्र को कुम्हार सम गढ। उसे लक्ष्य तक पहुंचाता। शिक्षक अमूल्य ज्ञान प्रदाता। रत्न है, जो अज्ञान चक्षु खोल। ज्ञान का दिव्य प्रकाश देता। शिक्षक नैतिकता निधि नित। प्रदान कर छात्रों को महापुरुष। महावीर श्रेष्ठ गुण युक्त नागरिक। निर्माण कर भारत राष्ट्र को। सौंपता शिक्षक पुरातन। काल से ही उत्तम चरित्रवान। छात्र प्रदान कर पर्वत सम। बाधाओं से सामना करना। सिखलाता, रामायण काल में। राम और महाभारत काल में। कौरव पांडव को विद्या। प्रदान करने में वाल्मीकि, द्रोणाचार्य। ...
मेरा है सम्मान तिरंगा
कविता

मेरा है सम्मान तिरंगा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** आन लिए फहराता नित ही, मेरा है सम्मान तिरंगा। शान सजा शुभ-मंगल लाता, सच में नवल विहान तिरंगा।। बलिदानों ने रंग दिखाए, तब हमने आज़ादी पाई। जला-जलाकर वस्त्र विदेशी, सबके तन पर खादी आई। सम्प्रभुता को धारण करता, मेरा है अरमान तिरंगा। शान सजा शुभ-मंगल लाता, सच में नवल विहान तिरंगा।। शौर्य सिखाता रंग केसरी, श्वेत सादगी की बातें। हरा हमें देता हरियाली, वैभव की नित सौगातें।। चक्र भारती की जय करता, हरदम है गुणगान तिरंगा।। शान सजा शुभ-मंगल लाता, सच में नवल विहान तिरंगा।। जय जवान का नारा लब पर, जय किसान का गान हो। लोकतंत्र का मान रहे नित, सद्भावों की आन हो।। तीन रंग की शोभा न्यारी, जाने सकल जहान तिरंगा। शान सजा शुभ-मंगल लाता, सच में नवल विहान तिरंगा।। सीमाओं की शान बढ़ाता, जन-गण-मन की आन निभाता...
मैं भारत कहलाता हूँ
कविता

मैं भारत कहलाता हूँ

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मैं धर्म गुरु मैं ज्ञान गुरु मैं आध्यात्म का भी गुरु कहलाता हूँ मैं भारत कहलाता हूँ। मै सूत्रधार मैं मार्गदर्शक मैं नीति न्याय का ध्वजा फहराता हूँ मैं भारत कहलाता हूँ। मैं वेद गीता मैं ही भागवत मैं रामायण, पुराण ग्रंथों का सिरजनहारा हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। मैं समृद्धि मैं ही वैभव मैं कुबेर सोने की चिड़िया कहलाता हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। मैं शक्तिशाली मैं सैन्य सामरिक मैं ज्ञान विज्ञान योग का परचम फहराता हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। मैं स्वतंत्र मैं गणतंत्र मै जनता,जनार्दन लोकतंत्र कहलाता हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरच...
सिमटते परिवार
कविता

सिमटते परिवार

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सभ्य होते समाज में, सिमट रहे हैं परिवार रीनी टिंकू मम्मा पापा, छोटा सा रह गया संसार क्या इसको कहते हैं विस्तार? चाचू का वो घोड़ा बनना, दादा संग सैर पे जाना दादी ताई की कहानी, भुआ का वो लोरी गाना कहाँ गम हुए ये किरदार? पापा जाते हैं काम पर, किटी पार्टी मम्मी की है बच्चे घर स्कूल से आते, टी वी संग मौज मनाते हैं कहाँ गए सारे संस्कार? नूडल्स पिज्जा पास्ता खाकर सेहत का हो गया कल्याण ताज़े सब्ज़ी दाल चांवल, चूल्हे की रोटी गरम-गरम भूले क्यों पापड़ अचार? जब सब साथ में रहते थे, हर दिन उत्सव होता था त्यौहार मनाते मिलजुल कर खुशियों का वो जमघट था ये कैसे गुमसुम परिवार? बुजुर्ग हो या कोई बीमार, सेवा सबकी होती थी एक कमाता सब खातेथे, गुजर बसर हो जाता था क्यों टूट गए रिश्ते सारे? परिचय : सरला मेहता निवा...
शिक्षक
कविता

शिक्षक

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** शिक्षक, जो हौसला बढ़ाये, शिक्षक, जो सही राह दिखाये, शिक्षक, जो हिम्मत न हारे, शिक्षक, जो धैर्यवान हो, शिक्षक, जो ऊर्जावान हो, शिक्षक, जो क्षमाशील हो, शिक्षक, जो रचनात्मक सोच रखे, शिक्षक, जो निरंतर सीखता जाये, शिक्षक, जो बच्चों को समझे, शिक्षक, जो बच्चों की सुने, शिक्षक, जो प्रोत्साहित करे, शिक्षक, जो खुशियाँ बाँटे, शिक्षक, जो सपने देखना सिखाये, शिक्षक, जो सपने पूरा करना सिखाये, शिक्षक, जो जीवन जीने की कला सिखाये, शिक्षक, जो बच्चों के साथ बच्चा हो जाए, शिक्षक, जो बच्चों के मन में उतर जाये, शिक्षक, जिसे हर बच्चा चाहे। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कवित...
मां की ममता मिलती हैं सबको
कविता

मां की ममता मिलती हैं सबको

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** मां की ममता मिलती हैं सबको कोई अच्छूता नहीं कद्र करने की बात है कोई करता कोई नहीं मां वात्सल्य प्रेमामई ममता मिलती हैं सबको कोई अच्छूता नहीं कद्र करने की बात है, कोई करता कोई नहीं मां का आंचल अपने सपूतों के लिए हरदम खुला बंद नहीं अपनी तकलीफों दुखों से घिरी पर ममता की छांव हटाई नहीं चार बातें कड़वी भी सुनीं तुम्हारी पर ममता की छांव हटाई नहीं तुमने कद्र भले की हो या नहीं पर मां ने ममता घटाई नहीं हैं ऐसे भी कुछ लोग मां की ममता का आंकलन करते नहीं बस दिखावे में जीतें हैं मां की ममता का सम्मान करते नहीं समझ लो ऐसे लोगों, मां की ममता नसीब करेगा भगवान भी नहीं बस मां की ममता आंचल में समाए रहो फिर पूजा पाठ की जरूरत नहीं मां का वात्सल्य प्रेमा मई ममता मिलती हैं सबको कोई अच्छूता नहीं कद्र करन...
सब मिलेगा
कविता

सब मिलेगा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बहुत पावन और पवित्र दिन आज कल चल रहे है। कही श्रीगणेशजी का जयकारा तो कही पर्यूषण महापर्व राज। चारों तरफ का वातावरण है बहुत ही भक्तिमय। जो देखते ही ह्रदय में धर्म ज्योत को जला रहा है।। तेरे द्वार से गया न खाली कोई भी मांगने वाला। रखते हो सब पर अपना हाथ उनकी खुशाली के लिए। बस मन में श्रध्दा और सुबरी आप में होना चाहिए। तभी परिणाम अनुकूल ही आपको निश्चित मिलेंगे।। बहुत कुछ खोकर भी आप विचलित न हो। न चिंता करे और न ही खुदको गमों डूबोये। बस लक्ष्य को देखे और आगे बढ़ते रहे। सफलता तुम्हें निश्चित ही एक दिन मिल जायेगी।। मन को निर्मल और शांत रखे। अपने भावों को शुध्द करे। और भावनाओं को आप समझे। फिर उसी अनुसार कार्य करें।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं।...
आधार छंद
छंद, दोहा

आधार छंद

भीमराव झरबड़े 'जीवन' बैतूल (मध्य प्रदेश) ******************** आधार छंद - दोहा सपनों के आकाश में, पंछी बन संसार। दिखा रहा जादूगरी, रिश्तों को संहार।।१ दृष्टि प्रवंचक घूरती, तन का स्वेद निचोड़, तृषित नैन से भूख के, बहे अश्रु की धार।।२ व्यथित हुई हैं चींटियाँ, भूल गयी प्रतिरोध। यह मौसम जो दे रहा, कोड़े की फटकार।।३ संस्कारों का आवरण, तार-तार कर शर्म। बना रहा मन क्रूरतम, धर्म मनुजता मार।।४ सड़कों पर ज्वालामुखी, घर-घर में आक्रोश। समरसता को दे दिया, उन्मादक आहार।।५ तख्ती बैनर झंडियाँ, जलसों के परवाज। मार रहे सौहार्द को, बन घातक हथियार।।६ सत्ता के घर कैद में, सुख की धवल प्रभात। चढ़ सीने पर दीन के, करे बदन विस्तार।।७ परिचय :- भीमराव झरबड़े 'जीवन' निवासी : बैतूल मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी ...
तुम्हारे जाने के बाद
कविता

तुम्हारे जाने के बाद

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चाह है मेरी तुम्हें पाने की, तुम आती हो बहुत याद। मन लगता नहीं कहीं मेरा, तुम्हारे चले जाने के बाद।। भूल जाता हूं कि मैं कौन हूं, खुद का पता है ना ठिकाना। प्यार में तेरे बन कर पागल, गली में घूमता प्रेम दीवाना।। गूंज रहा है तेरा नाम फिजा में, हर जगह दिखता तेरी तस्वीर। छोड़ कर अकेले चली गई हो, मेरी प्रेरणा तू है मेरी तकदीर।। अब ना देर करो जीवन साथी, लौट आओ तुम बिन मैं अधूरा। तुम अमूल्य हो मणींद्र से ज्यादा, तेरा प्यार मेरे लिए है पूरा-पूरा।। मेरे मनमीत, प्रेयसी, अर्धांगिनी, सुन लो निशब्द दिल की पुकार। तड़प रहा हूं तुम्हें पाने के लिए, तुमसे ही है प्रिय मेरा घर संसार।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पु...
मेरे गुरु
कविता

मेरे गुरु

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** विद्या और ज्ञान सागर सा मेरे गुरु चुन चुन मोती देते जब भी राह भटक मैं जाती अपने हाथ पतवार थामते ईश्वर को कब जाना मैंने गुरु में उनकी छवि देखा कभीं सख्त कभी सरल हैं जग का बोध गुरु कराते हैं गलतियों को सदा सुधारते सत् पथ पर लेकर चलते हैं भ्रम के जालों को मिटाकर मन में ज्ञान ज्योति जलाते हैं जीवन में उत्कर्ष हमारा होता अनुशासन जीवन में वो लाते हर मुश्किल से लड़ने को हमें गुरु ही हमको तैयार करते हैं परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्री...
शिक्षक चालीसा
दोहा

शिक्षक चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* पांच सितम्बर गुरुदिवस, राधा कृष्ण मनाय। शिक्षक सारे राष्ट्र का, निर्माता कहलाय।। जयजय गुरुवर शिक्षक भाई। सारा जग है करत बड़ाई।।१ गुरु विश्वामित द्रोण कहाये। सांदिपन ने कृष्ण पढ़ाये ।।२ तुम चाणक बन राष्ट्र बनाते। चन्द्रगुप्त को राज दिलाते।।३ तुम गुरुवर बन कला सिखाते। जनगणमण भी गान कराते।।४ राजनीति शिक्षा में आई। तब से गुरु की साख गिराई।।५ शिक्षक के हैं भेद अनेका। शिक्षा कर्मी गुरुजी एका।।६ संविदा उच्च सहायक जानो। व्याख्याता प्राचार्य बखानो।।७ अतिथि की नही तिथी बताते। जीवन दुखड़ा सभी सुनाते।।८ समय का फेर बदलते देखा। आय व्यय का करते लेखा।।९ कर्मचारी बन वेतन पाते। सकल योजना तुम्हीं चलाते।१० बच्चों को भोजन खिलवाते। मिड डे की भी डाक बनाते।।११ समग्र अयडी भी बनवाओ। ता पीछे मेपिंग करवाओ।।१२...
शिक्षक का ज्ञान
कविता

शिक्षक का ज्ञान

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** ज्ञान का सागर हैं शिक्षक, महासागर हैं शिक्षक, जीवन का मान हैं शिक्षक, सृष्टि का अवतार हैं शिक्षक। हमें ज्ञान की ज्योति देते हैं, हमें नवज्योति दिखाते हैं, विज्ञान प्रौद्योगिकी कला को सिखाते हैं, हमें माता-पिता से ऊंचा पद प्रतिष्ठा देते हैं। सृजन के सृजन से, हमें चलना सिखाते हैं, हमें अंधेरों से, रोशनी की राह दिखाते है । ब्रह्मा का रूप तुम-कों मैं, हमेशा दिल से देते हैं, शिक्षक सृजन है सृष्टि का, पूरा विश्व मानता हैं। परिचय :- रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा : स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास : चैनपुर, सीवान बिहार सचिव : राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य स...
जब-जब मेरी कलम ने…
कविता

जब-जब मेरी कलम ने…

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** जब-जब मेरी कलम ने दर्द ए इंसानियत लिखा हैवानियत छटपटाने लगी दरिंदगी का दम घुटने लगा। ईर्ष्या स्वयं से जलने लगी नफरतों का नाश होने लगा। जब-जब मेरी कलम ने दर्द ए इंसानियत लिखा रुढियाँ रोने लगी घृणा स्वयं से घृणित होने लगी पाखंड पांव पीटने लगा। जब-जब मेरी कलम ने दर्द ए इंसानियत लिखा रूहें सिसकियाँ भरने लगीं आंसुओं की बारिश होने लगी हर पत्थरदिल पिघलने लगा जब-जब मेरी कलम ने दर्द ए इंसानियत लिखा वैमनस्य की कालिमा छंँटने लगी मानो गंदगियाँ दिलों की धुलने लगी अंधकार अमावस्या की रात्रि का लुप्त होने लगा नभ-जल-थल में सूर्य का प्रकाश प्रकाशित होने लगा हर हृदय पटल पर प्रेम और विश्वास का आह्लाद होने लगा। जब-जब मैंने दर्द ए इंसानियत लिखा। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शि...
किसी का हमदर्द बने
कविता

किसी का हमदर्द बने

प्रमेशदीप मानिकपुरी भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़) ******************** दर्द बढ़ जाता है तो सीने मे हूक सी उठती है | तन्हाई का आलम भी तब नागिन सी डसती है || दर्द की अहसास भी अजीब सुकून देता है | जो पास ना हो उसका भी अहसास देता है || दर्द को महसूस कर उसे बाँटने से घटती है | दुख के बादल फिर तो धीरे-धीरे छटकती है || आओ दर्द बाँट कर एक दूजे का सहारा बने | दर्द संग जीने मरने के नये नये अफ़साने बने || एक दूजे को सम्बल दे जीने का अधिकार दे | दर्द मिटा कर एक दूजे को आदर एवं प्यार दे || दर्द का नाम अमर है इश्क के हर इम्तिहान मे | दर्द तो मिलेगा ही दिल जला हो अगर प्यार मे || दर्द मे जीना,दर्द मे मरना,दर्द भी अहसास है | दर्द का जीवन से रिश्ता गहरा और खास है || दर्द मे किसी का हमदर्द बने भुलाकर क्लेश | अब दर्द मे जीवन जीना सीखना पड़ेगा प्रमेश || परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी पित...
सुनहरी शाम
कविता

सुनहरी शाम

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुनहरी शाम के बादल भी झुक आऐ। तुम ना आए प्रिय तुम ना आए। बही बयार शीतल और मेघ नीर लाए तुम ना आए प्रिय तुम ना आए। पोखरों के पास का किट स्वर प्रिय रवि चले अंतर तल में संबल क्षितिज का लिए तुमन आए प्रिय तुम ना आए। एक बार फिर बादल घिर आए याद के कोकिला का मधुर स्वर छू गया शाम मधु पा मधु गुंजन भी कर रहे भौर से मेरे उपवन के आंगन में काग बोले देर से फिर भी तुम ना आए प्रिय तुम ना आए।। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आ...