अपनी राहों पर
प्रमोद गुप्त
जहांगीराबाद (उत्तर प्रदेश)
********************
बारूदों की, मस्तिष्कों में-
देखो फसलें उगा रहे हैं,
स्वार्थ सिद्ध करने के हेतु
रोबोटों को जगा रहे हैं ।
युद्ध क्षेत्र या राजनीति है-
राजमहल के अन्दर झाँको,
कौन शत्रु व कौन मित्र है-
तुम हर दल के अन्दर झाँको,
पता नहीं जब तुमको भैया-
फिर क्यों बुद्धि खपा रहे हैं ।
जैसे तुम ही बस राजा हो-
यह अहसास कराया तुमको,
कर्तव्यों को दूर हटाकर-
अधिकार, समझाया तुमको,
लौट आओ अपनी राहों पर-
फंस जालों में, फंसा रहे हैं ।
परिचय :- प्रमोद गुप्त
निवासी : जहांगीराबाद, बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)
प्रकाशन : नवम्बर १९८७ में प्रथम बार हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेठ मासिक पत्रिका-"कादम्बिनी" में चार कविताएं- संक्षिप्त परिचय सहित प्रकाशित हुईं, उसके बाद -वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जागरण, युग धर्म, विश्व मानव,...
























