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भारत के भाग्य विधाता

रामसाय श्रीवास “राम”
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)

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भारत के भाग्य विधाता,
हे बापू तुम्हे नमन।
दिला गये आजादी हमको,
करके खूब जतन ।।
भारत के भाग्य विधाता
हे बापू तुम्हे नमन

दो अक्टूबर का वह शुभ दिन,
गांधी जी ने जन्म लिया।
पोरबंदर गुजरात प्रांत में,
मातृभूमि को मान दिया।।
खुशियाँ छाई भारत भू पर,
हर्षित धरा गगन
भारत के भाग्य विधाता
हे बापू तुम्हे नमन

देश गुलामी की जंजीरों,
में जकड़ा था सदियों से।
क्रंदन करती भारत माता,
नीर बहाती अंखियों से।।
देख दशा भारत की तेरा,
ब्यथित हुआ तन मन
भारत के भाग्य विधाता
हे बापू तुम्हे नमन

सत्य अहिंसा को तुमने,
अपना हथियार बनाकर।
किये संगठित जन जन को,
भारत की ब्यथा सुनाकर।।
चिंगारी जल उठी क्रांति की,
बनकर खूब अगन
भारत के भाग्य विधाता
हे बापू तुम्हे नमन

सत्याग्रह की राह में चलना,
हम सबको सिखलाया।
एक लकड़ी की लाठी से,
गोरों को खूब भगाया।।
देश छोड़कर भगे फिरंगी,
खिल उठा गुलशन
भारत के भाग्य विधाता
हे बापू तुम्हे नमन

आज नही हो पास मगर,
लगता है यहीं कहीं हो।
कंण कंण में तेरे नाम की खुशबु,
मानो महक रही हो।।
अमर रहे युग युग तक बापू,
जब तक धरा गगन
भारत के भाग्य विधाता
हे बापू तुम्हे नमन

परिचय :- रामसाय श्रीवास “राम”
निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)
रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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