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Tag: रामसाय श्रीवास “राम”

प्रथम पूज्य गणराज
कुण्डलियाँ, छंद

प्रथम पूज्य गणराज

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कुण्डलियाॅं छंद गणपति बप्पा मोरया, प्रथम पूज्य गणराज। प्रथम नमन है आपको, पूरण करिए काज।। पूरण करिए काज, सभी सुख के तुम दाता। तुम हो कृपा निधान, जन्म-जन्मो से नाता।। कहे राम कवि राय, गणों के तुम हो अधिपति। हरिए सकल विकार, हमारे बप्पा गणपति।। वंदन गणपति का करें, और धरें उर ध्यान। इनके शुभ आशीष से, मिलता है सद्ज्ञान।। मिलता है सद्ज्ञान, देव हैं परम कृपाला। गज मस्तक हैं नाथ, धरे हैं देह विशाला।। कहे राम कवि राय, करें इनका अभिनंदन। गूॅंज रहा जयकार, जगत करता है वंदन।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
शीत लहर
छंद

शीत लहर

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** सोरठा छंद शीत लहर से आज, जूझ रहा संसार है। रूक गया सब काज, बचना इससे है कठिन।। पौष माघ की जाड़, लोग ठिठुरते ठंड से। कॅंपा रही है हाड़, बेबस हैं इससे सभी।। छायी धुंध अपार, चलना भी दूभर हुआ। ठंडी चली बयार, कहीं हुआ हिमपात है।। मौसम की है मार, इससे बच सकते नहीं। त्रस्त सभी नर नार, हैं इसके आगोश में।। बाल वृद्ध बीमार, खूब परेशाॅं हैं यही। जीना है दुश्वार, फिर भी है धीरज धरे।। मन में है विश्वास, बदलेगा मौसम कभी। है बसंत अब पास, आने को है द्वार पर।। सुखद सुहानी धूप, दिनकर लेकर आ गया। रंक रहे या भूप, सबको यह प्यारा लगे।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करत...
मातृभाषा हिन्दी और हम
कविता

मातृभाषा हिन्दी और हम

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** हिंद देश का वासी हूॅं मैं, हिन्दी मेरी भाषा है। इसका मान बढ़े नित जग में, यह मेरी अभिलाषा है।। रक्त बूॅंद बनकर मेरी यह, रग रग में बहती हर पल। ज्यों जल की धारा बहती है, नदियों में करती कल-कल।। तृषित जनों को सिंचित करती, जीवन की यह आशा है इसका मान बढ़े नित जग में, यह मेरी अभिलाषा है जननी जन्मभूमि सी प्यारी, मातृभाषा है यह श्रेष्ठ। एक यही हो भाषा सबकी, हो इसका उपयोग यथेष्ठ।। वर्षों की मेहनत से इसको, हमने खूब तराशा है इसका मान बढ़े नित जग में, यह मेरी अभिलाषा है हिन्दी प्राण है हिन्दुतां की, इसके बिन मृतप्राय सभी। इसका कर्ज चुका ना सकते, हम सारे ताउम्र कभी।। शांत इसी को पढ़कर होती, मन की सब जिज्ञासा है इसका मान बढ़े नित जग में, यह मेरी अभिलाषा है हिन्दी हिंदुस्तान का झंडा, ...
विवेकानंद
कविता

विवेकानंद

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** धर्म ध्वजा फहराए जग में, युवा एक संन्यासी है। नाम विवेकानंद है उसका, वह तो भारत वासी हैं।। बचपन में थे मातु पिता ने, नाम नरेंद्र दिया प्यारा। बालक पन में ही पाया है, उसने ज्ञान बहुत सारा।। जो आनंद विवेक पूर्ण हो, माया उसकी दासी है नाम विवेकानंद है उसका, वह तो भारत वासी है रामकृष्ण को गुरु बनाकर, उनसे ही शिक्षा पाई। जली ज्ञान की ज्योति हृदय में, मिटी अंधेरी परछाई।। तेज पुंज था मुख पर जैसे, चंदा पूरण मासी है नाम विवेकानंद है उसका, वह तो भारत वासी हैं हिन्दू सभ्यता संस्कारों का, उनने ही उत्थान किया। जाकर सागर पार धर्म का, सुंदर वह व्याख्यान दिया।। धर्म और अध्यात्म जहाॅं में, अमर यही अविनाशी है नाम विवेकानंद है उसका, वह तो भारत वासी है बाद युगों के इस धरती पर, एक कोई मानव आ...
झूठे वादे
छंद

झूठे वादे

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** सार छंद नेताओं की है यह आदत, करतें झूठे वादे। तन गोरा मन काला इनका, नेक न रखें इरादे।। जब चुनाव की बेला आती, दौड़े-दौडे आते। जिन्हें नहीं जाना पहचाना, उनको शीश नवाते।। एक बार सत्ता मिल जाए, फिर तो उसे भुलादें नेताओं की है यह आदत, करते झूठे वादे मंचासीन हुए नेताजी, जब गांवों में आए। अपने दल की लोक लुभावन, बातें खूब बताए।। मीठी-मीठी बातें करके, सबका मन बहलादे नेताओं की है यह आदत, करते झूठे वादे सीधी सादी जनता प्यारी, खूब बजाते ताली। भूल गया वह पिछली वादें, जो अब तक है खाली।। बातों से ही मोह लिया मन, फिर दे चाहे ना दे नेताओं की है यह आदत, करते झूठे वादे राजनीति गंदी होती है, ऐसे नेताओं से। बचके रहना मतदाताओं, इनके बहकाओं से।। ये चाहें तो आसमान से, तारे गिनकर लादे नेता...
नववर्ष
धनाक्षरी

नववर्ष

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मनहरण घनाक्षरी शुभ नववर्ष आया, संग में खुशी हैं लाया, सभी देशवासी मिल, इसको मनाइए। बीत गया है जो साल, कर गया वो कमाल, उससे लेकर सीख, जीवन सॅंवारिए।। तेज गति हो विकास, मन में है यही आस, सारे जग में भारत, को आगे बढ़ाइए। दुखियों के पीर हरें, काम सब शुभ करें, *राम*एक दूसरे को, गले से ‌ लगाइए।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविता...
मन खुशी से झूम उठा
छंद

मन खुशी से झूम उठा

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** लावड़ी छंद आज खुशी से झूम उठा मन, कुदरत की है देख छटा। शीत गुलाबी लगी कॅंपाने, अम्बर में है तेज घटा।। बिन बरसात बरसता बादल, चली हवा है पुरवाई। मौसम के इस परिवर्तन से, हुई सभी को कठिनाई।। चिंतित हैं हलधर बेचारे, अन्न अभी है पड़ा कटा आज खुशी से झूम उठा मन, कुदरत की है देख छटा द्वार खड़ा ऋतुराज अभी है, आने को दस्तक देता। पुष्प बांण से वेध हृदय का, सारे संकट हर लेता।। करें प्रतीक्षा गुलशन सारे, उसमें सब का ध्यान बॅंटा आज खुशी से झूम उठा मन, कुदरत की है देख छटा नाच रहा मन मोर हृदय में, कैसी यह शुभ बेला है। खेत और खलिहान भरे हैं, ज्यों खुशियों का मेला है।। लाभ किसी को हुआ अधिक है, और किसी का तनिक घटा आज खुशी से झूम उठा मन, कुदरत की है देख छटा अद्भुत है ईश्वर की लीला, देख चकि...
समय चुनाव का
छंद, दोहा

समय चुनाव का

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** दोहा छंद आया समय चुनाव का, करना है मतदान। हमें बनाना है यहाॅं, मिलकर एक विधान।। लोकतंत्र की जान है, वोटर का अधिकार। स्वस्थ प्रशासन के लिए, यह सुंदर आधार।। सोच समझकर ही करें, हम अपना मतदान। दूर प्रलोभन से रहें, बढ़े देश की शान।। छणिक प्रलोभन में डिगे, कभी नहीं ईमान। सच्चे मतदाता बनें, रखना है यह ध्यान।। ऐसे नेता को चुनें, समझ सके जो पीर। मतदाता के ऑंख से, पोंछ सके जो नीर।। पाॅंच वर्ष की योजना, लाती है सरकार। जनता के हित में बने, वही करें स्वीकार।। मतदाता को चाहिए, कर नेता की जाॅंच। वोट उसी को दीजिए, लगता हो जो साॅंच।। जाति धर्म की भावना, इन सबसे हों दूर। वोट कभी मत कीजिए, होकर के मजबूर।। प्रत्यासी जाना हुआ, देश भक्त इंसान। राजनीति की हो परख, उसे करें मतदान।। अपना देश महा...
कच्ची मिट्टी सा बचपन
कविता

कच्ची मिट्टी सा बचपन

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मात्रा भार १६--१४ नन्हे मुन्नों के मन में अब, शुभ संस्कार जगाना है। कच्ची माटी से बचपन को, गढ़-गढ़ कुंभ बनाना है।। बच्चों का मन निर्मल होता, द्वेष कपट से दूर बहुत। शुद्ध सरल निश्छल दिल वाले, करें शरारत वे अद्भुत।। चंचल चपल मधुरता इनकी, हमको इसे बचाना है कच्ची माटी से बचपन को, गढ-गढ कुंभ बनाना है होंठों की मुस्कान मनोहर, देख पुष्प भी शरमाए। इनका रुठना और मचलना, जो देखे उसको भाए।। खुशी भरा हो इनका जीवन, ऐसा कदम उठाना है कच्ची माटी से बचपन को, गढ-गढ कुंभ बनाना है शिक्षा का माध्यम हो ऐसा, जिसमें हो संस्कार भरा। पढ़ लिख कर ऐसे बन जाऍं, कुंदन जैसे लगें खरा।। जग के सभी विकारों का नित, इनको ज्ञान कराना है कच्ची माटी से बचपन को, गढ-गढ कुंभ बनाना है नैतिक शिक्षा नैतिकता का, दिल म...
पुतले का दहन
कुण्डलियाँ, छंद

पुतले का दहन

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कुंडलियां - छंद करके पुतले का दहन, हर्षित है इंसान। रावण अब मारा गया, कहता है नादान।। कहता है नादान, इसी भ्रम में वह जीता। पुतले को निज हाथ, जलाते सदियों बीता।। कहे राम कवि राय, जोश हिय में वह भरके। मना रहा है पर्व, दहन पुतले का करके।। मरना रावण का नहीं, है इतना आसान। जब तक के अपने हृदय, भरा हुआ अभिमान।। भरा हुआ ‌अभिमान, यही रावण कहलाता। फिर पुतले पर क्रोध, व्यर्थ में क्यों दिखलाता।। कहे राम अभिमान, हमें है निज का हरना। तब होगा आसान, दुष्ट रावण का मरना।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप ...
आसमान में बादल छाए
गीत, छंद

आसमान में बादल छाए

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** विधा- गीत सार- छंद आसमान में बादल छाए, श्वेत श्याम हैं प्यारे। घूम रहे हैं दशों दिशा में, लगते सबको न्यारे।। मौसम है बारिश का देखो, बादल लगे गरजने। रिमझिम-रिमझिम बूंद सुहानी, लगती मन को हरने।। देख इन्हें है हर्षित होता, तन मन सभी हमारे आसमान में बादल छाए, श्वेत श्याम हैं प्यारे डोल रहे हैं साथ हवा के, इधर-उधर मतवाले। कभी अकेले कभी साथ में, रहते बाॅंहे डाले।। देख-देख इनकी सुंदरता, ऑंखें कभी न हारे आसमान में बादल छाए, श्वेत श्याम हैं प्यारे है कपास सा कोमल कितना, लगे बर्फ का गोला। धरती में जलधार बहे जब, इसने है मुह खोला।। होते हैं मुश्किल में जग के, रहने वाले सारे आसमान में बादल छाए, श्वेत श्याम हैं प्यारे लगता उड़कर आसमान में, इन बादल को छू लूॅं। उड़ता है मन पंख पसा...
बुजुर्गो की दशा
मुक्तक

बुजुर्गो की दशा

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मुक्तक बुजुर्गो की दशा देखो, हुई कैसी लाचारी है। जीवन के इस अवस्था में, परेशानी भी भारी है ।। बड़े मजबूर रहते हैं, ये कितने कष्ट सहते हैं। स्वंय का बोझ ढोते हैं, मगर हिम्मत न हारी है।। सताता है अकेला पन, मगर रहते अकेले हैं। जीवन में जो भी गम आया, सभी हंस कर ये झेले हैं।। बड़े खुद्दार होते हैं, भले छिपकर ये रोते हैं। नहीं कोई काम है आता, यही दुनिया के मेले हैं।। खपाई उम्र ये पूरी, सदा जिन पर हैं ये अपने। सदा करते रहे पूरे, उन्ही लोगों के ये सपने।। नहीं अब पास वो इनके, रहम पर जो रहे इनके। चलन कैसा है अब आया, पराए हो गए अपने।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह ...
हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा
गीत

हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मात्रा भार- १६-१४ हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा, इस पर हम अभिमान करें। नतमस्तक इसके चरणों में, इसका हम सम्मान करें।। केवल अक्षर इसे न समझें, यह माथे की बिंदी है। दुनिया में यह सबको प्यारी, लगती अपनी हिंदी है।। मुक्त कंठ से आओ मिलकर, हम इसका गुणगान करें हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा, इस पर हम अभिमान करें रग-रग में बहती है जैसे, रक्त बूॅंद की धारा है। प्राण वायु बन पोषित करती, जीवन यही हमारा है।। सुधा पिलाती है यह हमको, इसका हम रस पान करें हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा, इस पर हम अभिमान करें इस हिन्दी के हर अक्षर में, मिलता है विज्ञान भरा। सदा दमकती है कुंदन सा, कर लो यह पहचान जरा।। सूर्य ज्योति सी सदा चमकती, इसका हम अनुमान करें हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा, इस पर हम अभिमान करें हिन्दी के बिन ...
अत्याचार
धनाक्षरी

अत्याचार

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मनहरण घनाक्षरी कुछ तो करो विचार, पशु पर अत्याचार, किसलिए करते हो, उनमें भी जान है। क्या गलत क्या सही है, जानता मनुज ही है, उन प्राणियों को ऐसा, नहीं कुछ ज्ञान है।। प्रेम से उन्हें खिलाओ, काम जो भी करवाओ, क्रोध उन पर करो, कहाॅं की ये शान है। साथी हैं वो भी हमारे, सहते हैं कष्ट सारे, राम सब में है प्राण, एक ही समान है। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्...
विधाता छंद
छंद, मुक्तक

विधाता छंद

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मुक्तक विधाता छंद गजानन बुद्धि के दाता, उमा शिव के बड़े प्यारे। प्रथम हो पूज्य इस जग में, तुम्हे पूजे जगत सारे।। दरश को मैं चला आया, सुमन भर भाव का लाया। चरण में है नमन अर्पण, इसे अब आप स्वीकारें।। चतुर्थी है बड़ा पावन, तिथि भादों की शुभकारी। लिए अवतार हैं इस दिन, छवि सुंदर है मनुहारी।। बजे कैलाश में बाजे, मनोहर रूप सब साजे। खुशी की आज वेला है, मनाते लोग हैं भारी।। गगन से देवगण सारे, देखकर खूब हर्षाऍ। दरश की लालसा मन में, लिए कैलाश में आऍ।। गणों के हो तुम्हीं स्वामी, प्रभु तुम हो अंतर्यामी। विनय सुन लो हमारी भी, तुम्हारे द्वार पर आऍ।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत...
लगाकर जाम को मुंह से
कविता

लगाकर जाम को मुंह से

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** लगाकर जाम को मुंह से, कंही ये भूल मत जाना। नशे में चूर होकर राह, घर की भूल मत जाना।। कोई अपना तुम्हारा, राह में, पलकें बिछा कर के। खड़ा है द्वार पे तकता, सड़क को भूल मत जाना।। कभी यारों के संग रातों में, तुम महफिल सजाते हो। कभी पत्ते में भी तुम हाथ, अपना आजमाते हो।। कभी कुछ भी बहाना कर, कंही घूमने चले जाते। मगर घर लौट आना वक्त, पर ये भूल मत जाना।। लगाकर जाम को मुंह से, कंही ये भूल मत जाना। लगाते जान को बाजी में, हरपल क्यों हो तुम अपना। समय बेकार में यूं ही, बिताते क्यों हो तुम अपना।। लगाली है बुरी आदत, किसी ने आज तक दिल से। भला ना हो सका उसका, कभी ये भूल मत जाना।। लगाकर जाम को मुंह से, कभी ये भूल मत जाना। जीवन दिन चार का है ये, इसे बेकार ना खोना। कंही पड़ जाए ना अवसर, ग...
कानन
कविता

कानन

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** सुरभित कानन कुंज है, सुमन खिले चहुॅं ओर। हर्षित सारे जीव हैं, देख चकित मन मोर।। कानन में तरु झूमते, पक्षी बैठे डाल। देख देख खुश हो रहे, युवा वृद्ध सब बाल।। कानन मन भावन लगे, वृक्षों की है छाॅंव। सूरज की गर्मी नहीं, सुंदर है यह ठाॅंव।। वृक्षों से कानन सजे, फूलों से है बाग। खुश हो पक्षी गा रहे, सुंदर मीठी राग।। लदे फलों से वृक्ष हैं, कानन में भरमार। गुण वर्धक पौष्टिक सभी, खूब अनेक प्रकार।। फल फूलों को देखकर, भ्रमर करें गुंजार। चहक रहें वन जीव हैं, पाकर गंध अपार।। सुंदरता वन बाग की, मनमोहन अभिराम। कुदरत ने अनुपम रचा, बिना लिए कुछ दाम।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घो...
तुलसी का पौधा
दोहा

तुलसी का पौधा

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** तुलसी का पूजन करो, श्रृद्धा से धर ध्यान। जग के सारे देव में, यह है परम महान।। जल देते प्रति दिन इन्हें, जो भी नर या नारि। संकट उनका नित हरें, महादेव त्रिपुरारि।। घर के ऑंगन में रखें, तुलसी पौधा रोप। कष्ट सभी संहारती, रोके सकल प्रकोप।। धर्म-कर्म होता नहीं, बिन तुलसी के पत्र। मिल जाती हर ठौर में, यहाॅं-वहाॅं सर्वत्र।। श्री विष्णु को प्रिय यही, रहे सदा ही संग। भोग नहीं इसके बिना, कहते सभी प्रसंग।। रोग निवारक है दवा, इसके गुंण अनंत। तुलसी को सब मानते, हो गृहस्थ या संत।। तुलसी पौधा देव का, है जग पर उपकार। *राम* बिमारी में करें, इससे शुभ उपचार।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि ल...
पूनम
कुण्डलियाँ

पूनम

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कुंडलियां पूनम की आई तिथी, दिन है आज विशेष। शिव की करलो साधना, रहे नहीं कुछ शेष।। रहे नहीं कुछ शेष, भरे झोली जो खाली। पूरण हो हर काम, सदा आए खुशहाली।। कहे *राम*कवि राय, सभी को खुशियाॅं दें हम। लेकर खुशी अपार, आज आई है पूनम।। पूनम की शुभ चाॅंदनी, जगमग करे प्रकाश। श्वेत धवल है रश्मियाॅं, तम का करें विनाश।। तम का करे विनाश, सभी के मन को भाए। नील गगन में आज, रहें ‌तारे हर्षाए ।। कहे *राम*कवि राय, जपो शिव शंकर बम-बम। शिव जी का है वार, तिथी पावन है पूनम।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
घायल
कुण्डलियाँ, छंद

घायल

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** कुंडलियां छंद घायल की गति जानकर, करें त्वरित उपचार। मानवता का धर्म है, यह है शुभ ब्यवहार।। यह है शुभ ब्यवहार, इसे है सदा निभाना। खुद सहकर के कष्ट, उसे है तुम्हें बचाना।। कहे *राम* कवि राय, जमाना होगा कायल। मिटे सकल संताप, स्वस्थ होगा जब घायल।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताए...
हिन्दू नववर्ष प्यारा
कविता

हिन्दू नववर्ष प्यारा

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** हम हैं हिन्दुस्तानी, है हिन्दुस्तान हमारा । चलो मनाएं साथी, हिन्दू नववर्ष प्यारा ।। संस्कारों की धरती है यह, भारत भूमि हमारी । जान से भी बढ़कर लगती है, हम सब को यह प्यारी ।। यही हमारी आन बान और, यही है शान हमारा चलो मनाएं साथी, हिन्दू नववर्ष प्यारा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है पावन, इस दिन इसे मनाते । करके शक्ति की आराधन, मन में जोश जगाते ।। श्रृष्टि के कण कण में छाईं, अद्भुत रूप नजारा चलो मनाएं साथी हिन्दू नववर्ष प्यारा रीत रिवाजों से है पूर्ण, इसकी शान निराली । संस्कृति से सजी ये धरती, खुशिऑ देने वाली ।। ऑंख उठाकर देख रहा है, आज इसे जग सारा चलो मनाएं साथी हिन्दू नववर्ष प्यारा मंगलमय हो वर्ष नया यह, गीत खुशी के गाएं । स्वागत में इसके आओ हम, मंगल दीप जलाएं ।। राम मिला कुदरत से...
रघुवर कब तक आओगे
गीत

रघुवर कब तक आओगे

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मात्रा भार--१६--१४ जग से अत्याचार मिटाने, रघुवर कब तक आओगे। कब से राह तकें हम तेरे, कब दर्शन दिखलाओगे।। क्रंदन करती धरती माता, कष्ट नहीं सह पाती है। अपने पुत्र जनो का दुखड़ा, इसको खूब रूलाती है।। कब इसके रूखे उपवन में, प्रेम सुधा बरसाओगे।। छिड़ी हुई है जंग जहाॅ में, निज प्रभुता दिखलाने को। साधन हीन लगे हैं जग में, निज अस्तित्व बचाने को।। साधन वानो को कब आकर, राह सही दिखलाओगे।। धरती से अम्बर तक खतरा, साफ दिखाई देता है। कुदरत रहकर मौन हमेशा, सारे गम सह लेता है।। धधक रही इस सृष्टि को कब, आकर तुम हर्षाओगे।। नहीं सुरक्षित जग में कोई, आज़ यहाॅ हैं नर नारी। मानवता पर भी छाई है, आज यहाॅ संकट भारी।। राम इन्हें मानवता का कब, आकर पाठ पढ़ाओगे।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवा...
होली आई झूम के
दोहा

होली आई झूम के

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** होली आई झूम के, खेलें रंग गुलाल। मस्ती में सबका हुआ, हाल यहाॅ बेहाल।। धर पिचकारी मारते, भर भर सब पर रंग। बाल वृद्ध देखो चलें, लेकर सबको संग।। सब मिलकर के गा रहे, सुंदर होली गीत। छोड़ सभी शिकवा गिला, आज़ बने सब मीत।। ढ़ोलक की है थाप पर, नाचें सब हुरियार। देखो सारे आज़ हैं, खूब किये श्रृंगार।। कोयल मीठी गा रही , बैठ आम की डाल। अमराई की छांव में, खेल रहे सब बाल।। आज खुशी से नाचता, यह सारा संसार। फागुन लेकर आ गया, होली का त्यौहार।। टेसू फूले लाल है, सुंदर है वन बाग। होली खेलो प्रेम से, छेड़ बसंती राग।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार...
युद्ध
मुक्तक

युद्ध

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ********************  ( १ ) किसी का हो नहीं सकता, भलाई युद्ध में प्यारे। कोई है हारता इसमें, तो कोई जीत कर हारे।। कहीं इंसानियत रोती, बड़ी नुकसान भी होती। सभी कुछ जानकार के भी, बने अन्जान हैं सारे।। ( २ ) तबाही संग लाती है, विभिषिका यह डराती है। जो देखा यह नजारा है, उसे कब नींद आती है।। कोई ऑसू बहाता है, तो कोई मुस्कराता है। इन्हें कब अक्ल आएगी, यही चिंता सताती है।। ( ३ ) बड़े हैं देश दुनिया में, भरा अभिमान है उनमें। वही विस्तार वादी हैं, नहीं संतोष है उनमें।। उन्हीं के पास है साधन, यही सबसे बड़ा कारण। किसी का हो भला ऐसा, समझदारी नहीं उनमें।। ( ४ ) समझ कमजोर औरों को, करो ना युद्ध मनमानी। निजी स्वारथ में आकर तुम, करो ना काम बेमानी।। कहे कवि राम बस इतना, सभी को मानलो अपना। मिला अनमोल है जीवन, करो ना ब्यर्थ नाद...
खाना बचे न थाली में
कविता

खाना बचे न थाली में

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** खाना बचे न थाली में, ब्यर्थ बहे न नाली में। जिसने भी ये अपनाया, जीये वो खुशहाली में।। खाना है जीवन दाता, सबका है इससे नाता। इसको ना बर्बाद करें, हर पल इस्को याद करें।। जिसने ये बर्बाद किया, जीता वो बदहाली में। खाना में है प्राण बसे, श्रृष्टि बनी है ये जब से। सबकी यही जरुरत है, अच्छा खाना हसरत है।। भूखे को प्यारा लगता, फूल खिले ज्यों डाली में खाना है ईश्वर का रूप, माने इसे योगी या भूप। खाना से ही भूख मिटे, तन के सारे कष्ट हटे।। करना प्यार इसे इतना, जैसे बाग और माली में अन्न का दाना है अनमोल, मिले नहीं बिना ये तोल। उगता अन्न परिश्रम से, भूल गए हम ये कैसे।। खाने से ही पेट भरे, भरे नहीं ये ताली में मीठा हो पकवान अगर, खाओ ना उसको डटकर। रोटी चांवल दाल बड़ा , क्यों खाते हो...