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आसमान में बादल छाए

रामसाय श्रीवास “राम”
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)

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विधा- गीत
सार- छंद

आसमान में बादल छाए,
श्वेत श्याम हैं प्यारे।
घूम रहे हैं दशों दिशा में,
लगते सबको न्यारे।।

मौसम है बारिश का देखो,
बादल लगे गरजने।
रिमझिम-रिमझिम बूंद सुहानी,
लगती मन को हरने।।
देख इन्हें है हर्षित होता,
तन मन सभी हमारे
आसमान में बादल छाए,
श्वेत श्याम हैं प्यारे

डोल रहे हैं साथ हवा के,
इधर-उधर मतवाले।
कभी अकेले कभी साथ में,
रहते बाॅंहे डाले।।
देख-देख इनकी सुंदरता,
ऑंखें कभी न हारे
आसमान में बादल छाए,
श्वेत श्याम हैं प्यारे

है कपास सा कोमल कितना,
लगे बर्फ का गोला।
धरती में जलधार बहे जब,
इसने है मुह खोला।।
होते हैं मुश्किल में जग के,
रहने वाले सारे
आसमान में बादल छाए,
श्वेत श्याम हैं प्यारे

लगता उड़कर आसमान में,
इन बादल को छू लूॅं।
उड़ता है मन पंख पसारे,
कैसे इनको भूलूॅं।।
राम रचाया है सृष्टा ने,
बादल और बहारें
आसमान में बादल छाए,
श्वेत श्याम हैं प्यारे

परिचय :- रामसाय श्रीवास “राम”
निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)
रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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