अन्नदाता
प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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छत्तीसगढ़ी कविता
नांगर, बईला धरे तुतारी खेत खार जेकर संग वाली !
उठथ बिहनिया जावत खेत, भूख पियास हरागे चेत !!
धरती ल लागिस पियास, सुन गोहार आइस आगास !
टरर-टरर मेचका नरियाय मोर, पपिहा, कोयल गावय !!
गड़-गड़-गड़-गड़ बादर गरजे झर-झर-झर पानी बरसे !
हरियर-हरियर धरती होगे, तरिया डबरी लबालब होंगे !!
खेत जोत के बोइस धान, धरती दाई के राखिस मान !
रेगड़ा टूटत मेहनत करथे घाम पियास सबो ल सहिथे !!
जावय खेत किसनहा बेटा, धरे चतवार निकालय लेटा !
खेत जोत के फसल उगावत हरियर धरती के गुनगावत !!
बन बुटा के निदाई करथे, गाय गरु ले फसल ल बचाथे !
जम्मो झन के भूख मिटाथे अन्नदाता वो हर कहलाथे !!
परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)।
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित...






















