कुछ छूटा क्या
प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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ज़िन्दगी की कैसी भागम भाग
तपती धुप और जलती है आग
देखें दिल किसी का टूटा क्या
पलट कर देखें कुछ छूटा क्या
वकत के बदलते नित करवट
कपड़ो मे पड़ते नित सिलवट
अहसास का डोर है टुटा क्या
पलट कर देखें कुछ छूटा क्या
हालत की मार से बेखबर कैसे
ज़िन्दगी कट रही है जैसे-तैसे
अपनों से संगत भी जुटा क्या
पलट कर देखें कुछ छूटा क्या
होनी अनहोनी के बीच सदा
उठती रहेगी एक टिश सदा
टिशों से अपनापन छूटा क्या
पलट कर देखें कुछ छूटा क्या
जीवन सफर जारी सदा रहेगा
अपनी बातें किससे तू कहेगा
देखे अपना भी कोई रूठा क्या
पलट कर देखें कुछ छूटा क्या
परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी
पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी
जन्म : २५/११/१९७८
निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़)
संप्रति : शिक्षक
शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, ड...





















