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फिर वही बात
कविता

फिर वही बात

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** बहुत भुलाना चाहा, पर इनकी पीड़ा से मुक्ति की कल्पना, मुझे फिर उन्हीं अंधेरी गलियों में ले जाती है, जहाँ फिर से वही बातें दोहराई जाती हैं, फिर से वही क्रूरता का ताना बाना बुना जाता है, फिर वही निर्दयता पूर्ण व्यवहार की बातों का सिलसिला चलता है ! इनकी मासूमियत वहां एक बार फिर फ़ना हो जाती है ! फिर इनके लिए वही बेबसी, वही लाचारी, जिनमे ये मासूम रात-दिन दम तोड़ते हैं ! उस अंधकार में कोई रोशनी की किरन नहीं दिखती, कोई ऐसी ध्वनि कानो में नहीं पड़ती, जिसमें इनकी मासूमियत की बातें हों, जिनमे इनके लिए करुणा और ममता हो ! यहां बार बार वही गलतियाँ दोहराई जाती हैं, इन मासूमों के जीवन को संरक्षित करने की आशा क्षीण होती जाती है,! इंसानो की नगरी में मानो इंसान विवेकहीन हो गया है, स्वयं के लिए...
बिखर रहे माला के मोती
गीत

बिखर रहे माला के मोती

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** देख-देख कर पीड़ा होती। बिखर रहे, माला के मोती।। तंत्र बना अब लूट तंत्र है, है बस्ती का मुखिया बहरा। गली-गली में दिखी गरीबी, कितने ही दर, तम है गहरा।। झूठ ठहाके लगा रहा है, सच्चाई छुप-छुपकर रोती। बहुतायत झूठे नारों की, मिलते हैं वादों के प्याले। कहते थे सुख घर आयेंगे, मिले पाँव को लेकिन छाले।। रोज बयानों के खेतों में, बस नफ़रत ही फसलें बोती। जाने कितनी ही दीवारें, मन से मन के बीच बना दी। बात किसी की कब सुनता है, मौसम हठी, ढीठ, उन्मादी।। उसकी बातें, उसकी घातें, लगता जैसे सुई चुभोती। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : नि...
बौना हुआ ईमान
कविता

बौना हुआ ईमान

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* सारी दुनिया वह कहे जो सम्मत विज्ञान धरती -चपटी मानते अभी बहुत इंसान। अड़े हुए हैं झूठ पर जान -बूझ अंजान अंध-श्रद्धा के सामने बौना हुआ ईमान। इंसाँ -इंंसाँ फर्क कर मज़हब लीने मान कुछ लोगों को छोड़कर सब काफिर शैतान। काफ़िर का जायज़ क़तल क्या यही कहता ज्ञान काफ़िर का कर खात्मा हासिल करो जहान। जो धरती पैदा हुआ वो सब एक समान यहाँ सभी हकदार हैं जीव -जंतु -इंसान। प्रेम -मुहब्बत -मुरब्बत इंसानी पहचान जिस मज़हब ये न रहें वो मज़हब मुर्दा जान। कुछ लोगों को वहम का होने लगा गुमान जो जितना जाहिल दिखे वो मज़हब की शान। परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक) पिता : देवदत डोंगरे जन्म : २० फरवरी निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्व...
पहलगाम में आतंकी हमला
कविता

पहलगाम में आतंकी हमला

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** बस पर आतंकी ‌हमला घर पर आतंकी ‌हमला कभी गोली औ बम बरसाकर सड़कों पर पत्थर बरसाकर रेल की पटरी उखाड़ उनपर भारी पत्थर रखकर भारी चीजें अटका कर, आग लगाकर पर्व, जलूसों, सेना पर पत्थर बरसाकर मासूम, निहत्थे टूरिस्टों पर गोली चलवाकर सारे जग‌को कर‌आतंकित खुद लुके छुपे फिरते हैं यह कायर बड़े हुआ करते हैं आतंकी यही हुआ करते हैं। कबतक भारत आतंक सहेगा कबतक भारतपुत्र शहीद बनेगा अब और नहीं हम सह सकते उनका आतंकी मकसद होकर चकनाचूर रहेगा। भारत ने न कभी पहला वार किया कई बार तुम्हें छोडा माफ़ तुम्हें कई बार किया। तुमने अति कर दी आतंकी दल बहुत सहा है हमने उत्तर मुंहतोड मिलेगा इनकी कायरता को सारा जग देखेगा। घर में घुसकर मारेंगे सब तहस नहस कर देंगे भारत की मर्यादा को लांघा आतंकिस्तान न बचने देंगे। जय भारत क...
बदलाव
कविता

बदलाव

नील मणि मवाना रोड, (मेरठ) ******************** किसी को बदलने की कोशिश कभी नहीं करनी चाहिए हां अगर चाहें तो कोशिश करें स्वयं में कुछ परिवर्तन जरूर ला सकते हैं दूसरों के अनुकूल स्वयं को बना सकते हैं स्थिति में संतुलन बैठ सकते हैं दो विपरीत दिशाओं को मिला सकते हैं कोशिश जरूर करनी चाहिए बंधने में ही सार्थकता है टूटना अंतहीन है, दुखद है अपने लिए तो सभी जीते हैं किसी और के लिए भी जी कर देखना चाहिए। परिचय :- नील मणि निवासी : राधा गार्डन, मवाना रोड, (मेरठ) घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि ...
सुधास्तवनम्
कविता

सुधास्तवनम्

भारमल गर्ग "विलक्षण" जालोर (राजस्थान) ******************** हे अंबिके! तुम्हीं वह प्राणप्रतिष्ठा हो सनातनी, शब्दब्रह्म का नाद जिसमें, वही स्वर हो। सहस्र के कमल में विराजित चित्र की ज्योति, महाकाल के उत्सवों से टपकी अमृत-बूंद रानी हो॥ युग-युग अनुवाद के पवित्र शिलालेख पर, त्रिगुणातीत गगन की व्योमस्थ महिमा-निधानी हो। प्रलय के मौन में भी जो गूंजे ॐ का मधुर-स्वर, वह निर्वाण की वीणा के अधिष्ठान की हो॥ मृत्युंजय के हस्त से रची पंचभूत की रंगभूमि, अखण्ड मण्डलाकार में ब्रह्माण्ड का क्षणिक खिलौना हो। विराट का सम्पुटित रहस्य, अनाहत नाद सा अनंत, पर मूक अभिनव कल्पित हो॥ कालचक्र के दन्तों में राक्षसी नश्वरता को चिर, अक्षय पात्र के लिए स्टेक ध्रुवतारा-सी अडिग धुरिणी हो। अम्बर में हड्डी वाली कृषिका, सृष्टि के हर कण में सनातन का स्पंदन तुम्हीं हो॥ शून्य के सागर में डूबे अत्या...
बलिदान पर्व
कविता

बलिदान पर्व

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** भारत लेता रहेगा बलिदान का बदला सरफरोशी-तमन्ना दिल में लिए कफ़न सर पे बाँध वे चल पड़े थे आज़ाद, भगत, सुखदेव, बिस्मिल फाँसी से ब्याह रचाने वाले दूल्हे आसमाँ के अब सितारे बन गए सौरभ, विभूति, विक्रम, नचिकेता उरी, पुलवामा, पहलगाम हमलें आतंकी जवाला में झुलस गए मेहँदी, मंगलसूत्र व चूड़ियाँ भी सुहागिनों की, साथ ही वे ले गए जिंदगी अभी जी नहीं थी लालों ने हजारों ख्वाइशें भी करनी थी पूरी बूढे माँ पिता की सेवाएँ थी अधूरी तमगे विभूषण सारे सौपकर अपने अपने अंतिम सफ़र पर चल दिए हैं उम्र कच्ची थी, हौंसलें थे बुलंद सीनों पर खाते रहे थे गोलियाँ वे होम अपनी जिंदगियाँ करके गए सिंदूर सजनियों का ले चल दिए आसमाँ के ये फ़रिश्ता बन गए हैं परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि...
जय हिंद
कविता

जय हिंद

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जय हिंद, जय हिंद के नारे अब लगाते जाओ। भारत माता के नाम का डंका अब बजाते जाओ। लेकर हाथ में तलवार दुश्मन का सिर कलम अब करते जाओ। जय हिंद....... जो डालते हैं गंदी नजरें हमारी भारत माता पर उनकी आंखों को ले शूल अब फोड़ते जाओ। जय हिंद........ जो मचाते हैं नित आंतक बन सिंह उनकी आतड़ियों को पंजे से फाड़ते जाओ। जय हिंद..... जो सोचते हैं हिंद के सैनिक कुछ कर नहीं सकते तोपों से उनके मुंह अब बंद करते जाओ। जय हिंद..... परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
बलिदान वीर जवानों का
कविता

बलिदान वीर जवानों का

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** बलिदान वीर जवानों का, बेकार नहीं जाने देंगे। हम भारत माँ की आँखों में अश्रु नहीं आने देंगे।। हैं वीर सिपाही मतवाले, उनके यश को नित गाएंगे। हम अपनी माता मातृभूमि को किंचित नहीं लजाएँगे।। हम अब अपनी पुण्य धरा पर, आतंकी ना आने देंगे। बलिदान वीर जवानों का, बेकार नहीं जाने देंगे।। हरकत जो नापाक हुई है, उसका बदला ले डाला। हमने घर में घुसकर मारा, पल उनका आज किया काला।। अब हम आतंकी दुश्मन को, मल्हार नहीं गाने देंगे। बलिदान वीर जवानों का, बेकार नहीं जाने देंगे।। हम शूरवीर,हम महाबली, हम दुश्मन पर भारी पड़ते। आ जाता है भूचाल तभी, हम ज़िद पर जब भी हैं अड़ते।। हम कायर, पापी, अधम, नीच को, अब घर में ना आने देंगे। बलिदान वीर जवानों का, बेकार नहीं जाने देंगे। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-...
आक्रोश की भट्टी
गीतिका

आक्रोश की भट्टी

भीमराव झरबड़े 'जीवन' बैतूल (मध्य प्रदेश) ******************** चल रहा मंथन विचारों में, जल उठी आक्रोश की भट्टी।। सलवटों ने डाल कर डेरा। मौन का ऊँचा किया घेरा।। भृकुटियों ने तन कटारी-सा, सुप्त हर दायित्व को टेरा।। वादियों का देखकर तेवर, शांति का संदेश है कट्टी।। धमनियों में बह रहा लावा। कर रहा विस्तार का दावा।। छोड़ दो बारूद के गोले, सूरमा करते न पछतावा।। वंचना के वार क्या सहना, खोल दो हर जख्म से पट्टी।। नैन में है क्रोध की ज्वाला। शत्रु लगता काल से काला।। चीख कर सिंदूर कहता है, ठोंक दो आतंक पर ताला।। सिर उठाएगा नहीं आगे, तोड़ दो दुर्दांत की नट्टी।। परिचय :- भीमराव झरबड़े 'जीवन' निवासी : बैतूल मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्...
राम केवट संवाद- भक्ति और समर्पण
कविता

राम केवट संवाद- भक्ति और समर्पण

प्रो. डॉ. विनीता सिंह न्यू हैदराबाद लखनऊ (उत्तरप्रदेश) ******************** आज्ञा पाए निषाद ने केवट दिए बुलाय पर केवट ने राम को, दी यह मांग सुनाय स्वामी करूं ना गंगा पार, बिना पद पंकज धोए पग रज की महिमा भारी पत्थर भी बन जाय नारी मेरी काठ की गाढ़ी नाव, दूजी मै कहां गढ़इयों । सिया राम जय सिया राम, सिया राम जय सिया राम मैं दीन हीन केवटिया, तुम महाराज रघुरैया जीने का कौन उपाय, नारी जो बने मेरी नैया, बोले रघुबर मुसकाई मेटो शंका केवट भाई कर दो मोहे गंगा पर, पग धूली जल से धोए । सिया राम जय सिया राम, सिया राम जय सिया राम पग धोए चरणामृत पाए, केवट निज भाग सराहे सिया राम लखन बैठारे, मन मगन हो नाव चलाए केवट न लेत उतराई और चरण गहे अकुलाई मैं काह ना पायो आज, मोहे दरस दियो रघुराई । सिया राम जय सिया राम, सिया राम जय सिया राम मैं नदी नाव केवटिया तुम भव से पार लगइया स्वामी ...
विश्वासघात का मकड़जाल
कविता

विश्वासघात का मकड़जाल

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सोचता हूँ विश्वास की लहरों में विश्वास के जोश में उड़ जांऊ विश्वास का लगा पंख पखेरू सोचता हूँ मिलेगी की लहरें विश्वास से ऊंचीउड़ान भर पाऊं।। विवेक से मै अलमस्त उड़ता जांऊ आंधी तूफान से भी लड़ता जांऊ मनमस्तिष्क में रख शीतल गहराई शीतलता की छाँव में ठाँव में पाँउ विश्वास से उड़ान मैं भर पाँउ।। निस्वार्थ से उड़ान जब भरूँ निस्वार्थ की मंजिल बस मैं पाँउ जख्म विश्वासघात का किसे बताऊँ विश्वास में विश्वासघात का निशाना विश्वासघात मैं अब पिसता पाँउ।।3 घातक तीर लगा कि पंख बचा न पाँउ विश्वास करुं जितना, घात उतना पाँउ विश्वास की उड़ान भरूँ विश्वासघात पाँउ भरता हूँ उड़ान, षड्यंत्र का तीर मैं पाँउ विश्वास की उड़ान भरने में समझ न पाँउ विश्वासघात के मकड़जाल में, उड़ न पाँउ।। परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्रू...
किसी न किसी का आदमी
व्यंग्य

किसी न किसी का आदमी

डॉ. मुकेश ‘असीमित’ गंगापुर सिटी, (राजस्थान) ******************** आजकल किसी का आदमी होना कितना जरूरी हो गया है! अगर आप किसी के आदमी नहीं हैं, तो आप आदमी कहलाने लायक ही नहीं हैं। यह पक्का मान लीजिए- आप दो पाये जानवर हो सकते हैं, पर आदमी नहीं। जहाँ देखो, वहाँ कोई न कोई किसी न किसी का आदमी ही नजर आ रहा है । नौकरी, प्रमोशन, जॉब, डिग्री, राशन, वजीफा, पुरस्कार- सब उसी को मिल रहे हैं जो किसी न किसी का आदमी है। मेरी ओपीडी में भी हर दूसरा मरीज किसी न किसी का आदमी होता है। मरीज आते भी यह देखने के लिए हैं कि डॉक्टर साहब भाव देते हैं या नहीं। सलाह तो डॉक्टर साहब देंगे ही, लेकिन भाव भी देंगे या नहीं, मसलन चाय भी तो पिलाएँगे, नहीं तो तो जिनके आदमी हैं, उनका फोन आ जाएगा- 'अरे, हमने अपना आदमी भेजा था! बताओ, आपने ध्यान ही नहीं रखा। मरीज मरा जा रहा था, और आपने उसे बाहर ...
बदलते मूल्य
कहानी

बदलते मूल्य

बृज गोयल मवाना रोड, (मेरठ) ******************** १३ जनवरी की कड़कती सर्दी में रजाई पर कंबल डाल लिया, फिर भी पैर गर्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ‘सारा दिन मौजे में बंद रहने पर भी न जाने कैसे इतने ठंडे हो जाते हैं !’ अपनी गर्माहट समेटते-समेटते अचानक गुमटी की छत पर गोबर के उपले बनाती चमेली का ख्याल आ गया। दोपहर धूप की तलाश में मैं ऊपर छत पर गई तो सामने बैठी शांता उपले बना बनाकर यत्न से रख रही थी। उसकी साड़ी हवा में बुरी तरह उड़ रही थी। वह सिर ढकने का असफल प्रयास बार-बार कर रही थी। लेकिन ठंडी हवा उससे जिद्दी बच्चों जैसी ठिठौली कर उसकी साड़ी को पतंग बना लेना चाहती थी। बेचारी बेबस सी शांता ठंडी हवा के सामने खिसियानी सी बैठी, उपले बनाने में व्यस्त थी। मैंने उसे टोका- ‘कहो शांता ठंडी हवा का आनंद ले रही हो…?’ वह हल्के से हंसी, फिर उड़ती साड़ी का कौना मुंह में दबाकर उपले बनाने लगी। पिछले ...
ज्यादा शरीफ बनने का नइ
कविता

ज्यादा शरीफ बनने का नइ

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** अपने रस्ते पे आने का, अपने रस्ते पे जाने का, मन किया तो कभी कभी शान पट्टी भी दिखाने का, इस दुनिया में शरीफों का जीना अक्सर होता रहता है मुहाल, आजू बाजू खड़ी रहती है बिना बुलाया हुआ जंजाल, अक्खा दुनिया में पड़े हुए हैं कई लुक्खे उनसे भी यारी दोस्ती निभाने का, मन किया तो कभी कभी शान पट्टी भी दिखाने का, अफसर भी अब खुद को समझने लगा है खुदा, काम नहीं है नेताओं के कामों से ज्यादा जुदा, ये होते ही नहीं कभी अपने बाप के, गुनाहगार साबित कर देते हैं औरों को खुद के किये हुए बड़े से बड़े पाप के, रिश्वत लेंगे भी अपने ओहदे की नाप के, कभी नहीं गिरेंगे इनके आंखों से आंसू दो बूंद भी सच्चे पश्चाताप के, तो क्या सोच रहा है भई, अपुन की बात मान ज्यादा शरीफ बनने का नइ। परिचय :-  राजेन्द्र लाहिर...
भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं २०४७ तक विकसित भारत बनना
समाचार

भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं २०४७ तक विकसित भारत बनना

नारद जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में आपरेशन "सिन्दूर: भारत का सामर्थ्य" विषय पर बोले पूर्व भारतीय सैन्य सचिव सिंघू * भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं २०४७ तक विकसित भारत बनना * भारतीय सैन्य शक्ति दुनिया की तीसरी बड़ी सैन्य शक्ति इंदौर। विश्व को भारत के सामर्थ्य का अनुमान था, लेकिन आपरेशन सिंदुर में उसे सभी देशों ने देख भी लिया। विश्व के देश भारत की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते है, लेकिन भारत की शक्ति को, भारत के सामर्थ्य को कम नहीं कर सकते है। आज भारत की सैन्य शक्ति देखकर दुनिया अचंभित है। भारतीय सैन्य शक्ति दुनिया की तीसरी बड़ी सैन्य शक्ति है, जिसकी शक्ति आपरेशन सिंदुर में विश्व ने देखी। पहलगाम हमला वास्तव में भारत को चुनौती थी, जिसका भारत ने करारा जवाब दिया। आपरेशन सिंदुर में भारत सौ प्रतिशत सफल रहा। युद्ध विराम भारत की कुटनीतिक विजय है। भारत कभी भी युद्ध नहीं चाहता है। भारत का लक्...
आम वृक्ष
कविता

आम वृक्ष

देवकी दर्पण पाटन जिला बूंदी (राजस्थान) ******************** बहुत ही उपयोगी, होता है सघन खूब, दीर्घजीवी हितकारी, वृक्ष बड़ा आम है। भारत के दक्षिण में, कन्या कुमारी से यह, आगे तक फैला हुआ, आम का ही नाम है। उत्तर में हिमालय, की तराई तक यह, तीन हज्जार फुट का, ऊंचा आम धाम है। पश्चिम में पंजाब से, पूरब आसाम तक, भारत वनों में खूब, आम का ही काम है।।१।। अनुकूल जलवायु, साठ फुट तक ऊंचा, तरू शान से हो जाता, स्वाभिमान से खड़ा। छाया भरपूर होती, धूप को देता चुनोती, लकड़ी नरम सोती, तरु होता है बड़ा। होती है टिकाऊ काष्ठ, लेता काम पूरा राष्ट्र, चाय की पेकिंग पाष्ट, बक्सा बनाते कड़ा। आम वृक्ष का कमाल, गोन्द देती रहे छाल, भाई आम लगा पाल, मौज जिन्दगी उड़ा।।२।। गोन्द की बने दवाई, ओषधालयों को भाई, रोगियों को रास आई, आम वृक्ष मान है। पोधा जब चलता है, चार साल पलता है, फिर यह फलता है, भारत...
राम नाम की महिमा
भजन

राम नाम की महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** शाश्वत मंत्र दिया हनुमत ने, उसका हूं मैं सुमिरन करता। करुणा बरस रही ईश्वर की, उससे हूं नित झोली भरता। शाश्वत मंत्र... हनुमत राम जप रहे प्रतिपल, दोनो हाथों इसे लुटाते। जो आस्था को दृढ़ करपाते, उनकी झोली मोती आते। प्रभु चरणों में डाल दुखों को, वोnअभक्तों के दुख है हरता। शाश्वत मंत्र... जिसने भी इस मंत्र को पकड़ा, उसका जीवन धन्य हो गया। शबरी ने था नाम को जपा, दरस को ईश्वर घर पे आगया। शिव जी जपते प्रतिपाल उसको, वो शिव का है पूजन करता। शाश्वतमंत्र ... राम नाम को रोगी जपता, उसकी औषधि है बन जाता, राम राम है योगी जपता तो, आत्मत्व में है जग जाता। सांसों में प्रभु नाम रमा पाया, वो जीवन मुक्त है करता। शाश्वत मंत्र... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणि...
मैं झील हूँ
कविता

मैं झील हूँ

बृज गोयल मवाना रोड, (मेरठ) ******************** मैं झील हूँ मैं बँधकर रहना नहीं चाहती मैं रास्ते बनाकर स्वतन्त्र बहना चाहती हूँ मैं खामोशियों से घबरा गई हूँ आगे बढ़कर इठलाना चाहती हूँ सागर तक जाकर लहरों में समाना चाहती हूँ मैं झील हूँ। परिचय :- बृज गोयल निवासी : राधा गार्डन, मवाना रोड, (मेरठ) घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३...
प्रभु चित्रगुप्त जी
कविता

प्रभु चित्रगुप्त जी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** कलम-देवता है नमन्, विनती बारम्बार। हर लेना अँधियार सब, देना नित उजियार।। न्याय देवता तुम भले, पाप-पुण्य का लेख। प्राणी की तुम खेंचते, बिल्कुल सच्ची रेख।। ब्रम्हा ने तुमको जना, हो तुम मानस पूत। तुम हो धर्माधर्म के, सबसे सच्चे दूत।। कायस्थों के पूर्वज, सबसे चतुर सुजान। कलम चलाते सत्य की, देते सबको ज्ञान।। धर्मराज के संग में, धारण करके मर्म। मृत को बतलाते सदा, कैसे उसके कर्म।। बता रहे हैं लेखनी, रखती पैनी धार। साँच सदा हो साथ में, तो उजला संसार।। चित्रगुप्त को पूजना, लेकर मंगलभाव। रखना दिल में नीति का, हरदम चोखा ताव।। बारह पूतों ने किया, सदा सुपावन काम। चित्रगुप्त जी! आप तो, लगते तीरथ धाम।। चित्रगुप्त जी!आप तो, करते चोखा न्याय। आप सदा हैं प्रेरणा, यह सबका अभिप्राय।। प्रकट हुए हो देव तुम, ...
संभल जा इंसान
कविता

संभल जा इंसान

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* सारी दुनिया वह कहे जो सम्मत है विज्ञान धरती -चपटी मानते अभी बहुत इंसान। अड़े हुए हैं झूठ पर जान -बूझ अंजान अंध -श्रद्धा के सामने बौना हुआ ईमान। इंसाँ -इंंसाँ फर्क कर मज़हब लीने मान कुछ ही को छोड़कर सब काफिर शैतान। काफ़िर का जायज़ क़तल इनका यही कहता ज्ञान काफ़िर का कर खात्मा हासिल करो जहान। जो धरती पे पैदा हुआ वो सब ही एक समान यहाँ सभी हकदार हैं, जीव - जंतु - इंसान। प्रेम- मुहब्बत- मुरब्बत इंसान की है पहचान जिस मज़हब ये न रहें वो मज़हब मुर्दा जान। लोगों को वहम का है होने लगा गुमान जो जितना जाहिल दिखे वो ही मज़हब की शान। घटिया- सटिया माल की कुछ दिन चले दुकान बेचा सो वापस फिरे करना पड़े चुकान। परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक) पिता : देवदत डोंगरे जन्म : ...
जयकारा तो गूँजेगा
कविता

जयकारा तो गूँजेगा

डाॅ. कृष्णा जोशी इन्दौर (मध्यप्रदेश) ******************** सैनिक का सम्मान बढ़ेगा, हिन्द का नारा गूँजेगा ॥ अखिल विश्व में भारत माँ का, अब जयकारा गूँजेगा ॥ वन्दे मातरम् का जयकारा, राष्ट्र भक्ति विश्वास हो॥ आतंकी आतंकवाद का, इस दुनिया से नास हो॥ भारत माता की जय हो, जय हिन्दू सैनिक की शान॥ सबसे पहले याद रहे दो, अधरों पर यह हिंदुस्तान ॥ मोदी जी के साहस बल का, परम सहारा गूँजेगा॥ सैनिक का सम्मान बढ़ेगा, हिन्द का नारा गूँजेगा ॥ परिचय :- डाॅ. कृष्णा जोशी निवासी : इन्दौर (मध्यप्रदेश) रुचि : साहित्यिक, सामाजिक सांस्कृतिक, गतिविधियों में। हिन्द रक्षक एवं अन्य मंचों में सहभागिता। शिक्षा : एम एस सी, (वनस्पति शास्त्र), आई.आई.यू से मानद उपाधि प्राप्त। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ...
गंगा-तट का अमर विरह
कहानी

गंगा-तट का अमर विरह

भारमल गर्ग "विलक्षण" जालोर (राजस्थान) ******************** गंगा की अगाध धारा पर सांझ की लालसा छा गई। घंटियों की मंद्रित ध्वनि और भक्तों के जप-तप से आकाश गुंजायमान हो उठा। पंडित विश्वंभरनाथ, जिनकी तपस्या से गंगा-तट की बालू भी तप्त हो उठती थी, स्नानोपरांत समाधि में लीन थे। तभी उनकी दृष्टि महादेवी अमृतांशी पर ठहर गई, जो कमल-दल सी कोमलता लिए जल से प्रकट हुईं। उनके आभूषणों की आभा से गंगा की लहरें चमक उठीं। यह पल था जब दो आत्माओं का स्पर्श बिना किसी शब्द के ही अनंत युगों के विरह का सूत्रपात कर गया। महादेवी की सखी मनस्विनी, जिसका हृदय विरह की ज्वाला से धधक रहा था, ने पंडित की ओर संकेत किया। तभी नित्यानंद शुक्ल, चटख रंगों से सजे मुखौटे लिए मुस्कुराते हुए आ धमके। "अहो! यह तो मन्मथ की प्रेम-लीला है!" उनकी हास्य-विनोद भरी वाणी से भक्तजन ठहाकों में भर उठे। इतने में ही राम मनोहर पांड्या, शस...
नहीं किसी को छलेंगे
कविता

नहीं किसी को छलेंगे

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** जिनको जो कहना है कहने दीजिये, उन्हें अपनी घमंड में रहने दीजिए, अपनी राहों में कैसे चलना है हम जानते हैं, बेफिक्री वाली मजबूत कदमों के शौकीन हैं हीरों से जड़ित खड़ाऊ कोई पहना दे तो भी किसी का आदेश हम नहीं मानते हैं, ऊंची नीची पहाड़ी में ऊंट न चलाओ, हुनर देखना है तो रेत में दौड़ाओ, कांच में भागने का दम सांप कहां से लाए, खेत की मेढ़ में कोई न छेड़ पाए, जगह परिस्थिति अनुसार सबका महत्व है, किसी का हुनर उनका अपना ही स्वत्व है, केकड़े हैं जो पत्थर की ओर मुड़ जाएंगे, जागरूकता की राह में सदा हमें पाओगे, सफल हुए तो अपना नीला आकाश होगा, मंजिल ले जाने को आदर्शों का प्रकाश होगा, वे अपनी चाल चले हम अपनी चाल चलेंगे, वो डूब सकता है डगर की चकाचौंध में मंजिल दिखलाने वाले नहीं किसी को छलेंगे। परिचय :-  रा...
आपको देश की कसम
कविता

आपको देश की कसम

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** प्रिय देशवासियों आपको देश की कसम अपने बच्चों को देशभक्त बनाएं उन्हें देश से प्रेम करना सिखाएं देशप्रेम है कर्तव्यों को इमानदारी से निभाना मेहनत करके आगे बढ़ना देश के प्रति निष्ठा निभाना अपनी ‌संस्कृति को संभाल कर रखना ईश्वर में विश्वास रखना पड़े जरुरत तो सांसारिकता को ताक पर रखना आध्यात्मिकता ‌की अलख उनमें जगाना अपने देश के बच्चों को पहला प्रेम देश से करना‌ सिखाना देश है सबसे बड़ा देश से बढ़कर नहीं कोई खड़ा देश ही सबको देता है सारे सुख, सुविधाएं देती है देश भक्ति मात-पिता सी शक्ति देश का संबल है धर्म ध्वजाएं देश में सांस्कृतिक चेतना जगाएं आध्यात्म की ध्वजा फहराएं भारत का हर बालक हर बाला स्वयं को देश का सैनिक समझे मन में यह भाव जगाएं तिरंगे से पहला प्यार करना सिखाएं हर मन में बसे तिरंगा हर...