मानव तेरा ऐसा स्वभाव होता
कालूराम अर्जुन सिंह अहिरवार
ग्राम जगमेरी तह. बैरसिया (भोपाल)
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काश मानव तेरा ऐसा स्वभाव होता
हम इसके जीवन यह प्रकृति
हमारी काया होती
निस्वार्थ भाव से स्वयं देना
प्रकृति का वरदान है
निस्वार्थ भाव से सेवा करना
मानव तेरा स्वभाव होता
फिर ना शिक्षा व्यापार बनती
प्राकृतिक वह प्राणी के लिए
मन में दया का भाव होता
हम इसके जीवन यह प्रकृति
हमारी काया होती
फिर ना यह कोरोना होता
ना यह मास्क ना सैनिटाइजर होता
फिर ना तू मुझसे दूर होता
ना मैं तुझसे दूर होता
दिल में दया का भाव होता
तू भी आजाद में भी आजाद होता
प्रकृति पर है सबका अधिकार
ऐसा तेरा स्वभाव होता
ना मैं तेरा दुश्मन
ना तू मेरा दुश्मन होता
हम सब मिलकर रहते
हम सब मिलकर रहते
तू धरती पर मैं पंछी
मैं आकाश में उड़ता
हम इसके जीवन
यह प्रकृति हमारी काया होती
फिर ना तू मुझसे दूर
ना मैं तुझसे दूर होता
काश मानव तेरा ऐसा स्वभाव होता
परि...























