तम अंधेरा
मित्रा शर्मा
महू - इंदौर
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तम अंधेरा
मिटा दो भगवान
डरते जन।
महामारी ने
निगलता जा रहा
फैला है तम।
छिन रहा है
मजदूर की रोटी
भूखा जहान।
क्रंदन भरा
हतोत्साहित मन
डरता जन।
आखों में आते
बिना नीद के ख्वाब
आजमाते है।
रकीब बन
सता रहा है हमे
यह समय।
जीवन डोर
छूट जाने का डर
कोरोना काल।
हारेंगे नहीं
लड़ते ही रहेंगे
थमेंगे नहीं।
परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल)
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