रंगों से रंगी दुनिया
संजय वर्मा "दॄष्टि"
मनावर (धार)
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मैने देखी ही नहीं
रंगों से रंगी दुनिया को
मेरी आँखें ही नहीं
ख्वाबों के रंग सजाने को।
कोंन आएगा, आखों मे समाएगा
रंगों के रूप को जब दिखायेगा
रंगों पे इठलाने वालों
डगर मुझे दिखावो जरा
चल संकू मै भी अपने पग से
रोशनी मुझे दिलाओं जरा
ये हकीकत है कि, क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैने देखी ही नहीं ...........................
याद आएगा, दिलों मे समाएगा
मन के मित को पास पायेगा
आँखों से देखने वालों
नयन मुझे दिलाओं जरा
देख संकू मै भी भेदकर
इन्द्रधनुष के तीर दिलाओं जरा
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैने देखी ही नहीं ..............................
जान जाएगा, वो दिन आएगा
आँखों से बोल के कोई समझाएगा
रंगों को खेलने वालों
रोशनी मुझे दिलावों जरा
देख संकू मै भी खुशियों को
आखों मे रोशनी दे जाओ जरा
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैने...
























