दूरियां
धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)
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बात कुछ ही साल पुरानी
मकान छोटे
दिल बड़े थे,
अब,
मकान बड़ा
दिल छोटा हो गया
अतिथि देवो भव
कुत्तो से सावधान
द्वारा स्थापन्न हो गया
एक से साथ अनेक होते थे
अब
अनेक के बीच एक नितांत अकेला रह गया।
अहम की भीड़ में
हम खो गया।
मैं, तू एक दूजे को जाने भी तो कैसे,
मैं, मैं बना रहा
तू भी तू ही रह गया।
बीच तेरे मेरे कोई रंजिश भी नही,
बस आगे निकलने की चाह में
दरमियां फासला बढ़ता गया ।
निगाहें भी नही मिलती है अब तो
लगता है, आंखों का पानी ही सुख गया।
चाह कर भी अब मिलना
मुश्किल हो गया
जीवन की नदी का
एक किनारा मैं,
दूजा तू हो गया।
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परिचय :-
नाम : धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
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