सुर्य के प्रताप से
कंचन प्रभा
दरभंगा (बिहार)
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मंडप प्रभा जाल से
धरा गोद बाल से
कभी हथेली चूमती
कभी खिले सुर्यमुखी
विधाता ये अजीब सा
उद्भ्ट प्राण गीत सा
पथिक के पाश बँध कर
कविता या छन्द कर
किसी के मुख चूम कर
विश्व पूर्ण घूम कर
डरा नही घटा नही
क्षेत्र मे बँटा नही
जग हुआ महान
मुग्ध आसमान
सुर्य के प्रताप से
तिमिर तेज ताप से
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परिचय :- कंचन प्रभा
निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार
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