लोरी माँ की थी
लोकेश अथक
बदायूँ (उत्तर प्रदेेेश)
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जिसे पकड़कर चला मैं वो उंगली मां की थी
जिससे चिपका रहा हरदम गोदी मां की थी
आज क्या है विराने मे अकेला हूं तड़पता मै
मै रोके आंसू था पोछता वो चुनरी माँ की थी
मुझे इस हाल में अब कौन समझाने को बैठा है
दूध पीते निकाला करता नथुनी मां की थी
मैं तड़पा हूं तड़पता हूं मेरी मां तेरे लिए
पड़ी थी कोने मे शायद कपड़ों की गठरी माँ की थी
वक्त बदला और मैं भूल बैठा उस जमाने को
रात को नींद ना आती तो वो लोरी माँ की थी
जहां हमारे सारे खर्चे पुरे होते तिजोरी मां की थी
कभी खूट में बांध के रखती वह चोरी मां की थी
जाना होता मेला या कोई सैर शहर की हो
कोमल हाथों से पकी हुई कचोरी मां की थी
छोटे थे तो खो जाने का डर था अक्सर
खड़ी भीड़ तक दरवाजे से आयी वो टेरी मां की थी
आजा आ जा मत जा लल्ला हट करता है
प्यार भरे शब्दों की सुंदर जोड़ी मां की थी.
परिचय :...






















