हां सब कुछ मेरा है पर
राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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सूरज मेरा है,
चांद मेरी है,
हवा मेरा है,
कुदरती
दवा मेरा है,
ये फूल,
पवन पुरवाइयां
मेरी है,
मेहनत मेरे हैं,
पर जमीन उनका है,
हर नाजनीन उनका है,
सर्वत्र घूम रहे हैं
जहरीले सर्प
और बीन उनका है,
व्यवहार मेरा है,
संस्कार मेरा है,
सारे पाखंडों पर
लूट जाने का
अधिकार मेरा है,
पर सारे नियम उनके हैं,
जिनकी नजरों में
हम तिनके हैं,
भले बाजुओं में दम है,
हमारे सीनों में गम है,
उनके लिए
लफंगे हम हैं,
कीड़े मकोड़े,
भिनभिनाती
कीट पतंगे हम हैं,
पर चिराग उनका है,
झपट्टे मारता हर
बाज उनका है,
जंगल पहाड़ हमारे हैं,
सद्व्यवहार हमारे हैं,
नैतिक मूल्य,
व्यवहार हमारे हैं,
पर व्यवस्था में बड़ा
आकार उनका है,
तन हमारे हैं,
मन हमारे हैं,
जन हमारे हैं,
खोट हमारा है,
वोट हमारा है,
पर सम्पूर्ण
सत्ता उनका है...























