हिंदी भाषा पर गर्व है
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रचयिता : संजय वर्मा "दॄष्टि"
हिंदी में वैज्ञानिक भाषा समाहित है। अंग्रेजी भाषा ये खूबी देखने को नही मिलती। कंठ से निकलने वाले शब्द, तालू से, जीभ से जब जीभ तालू से लगती, जीभ के मूर्धा से, जीभ के दांतों से लगने पर, होठों के मिलने पर निकलने वाले शब्द। इन निकलने वाले शब्द इसी प्रक्रिया से निकलते है। इसी कारण हमें अपनी भाषा पर गर्व है। वर्तमान में अंग्रेजी शब्दों को हिंदी में से निकालना यानि बड़ा ही दुष्कर कार्य है। सुधार का पक्ष देखे तो हिंदी व्याकरण और वर्तनी का भी बुरा हाल है। कोई कैसे भी लिखे , कौन सुधार करना चाहता है ? भाग दौड़ की दुनिया में शायद बहुत कम लोग ही होंगे जो इस और ध्यान देते होंगे। जाग्रति लाने की आवश्यकता है। जैसे कोई लिखता है कि "लड़की ससुराल में "सूखी "है। सही तो ये है की लड़की ससुराल में "सुखी "है। ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे। बच्चों को अपनी सृ...