नारी तुम सशक्त हो
डॉ. जयलक्ष्मी विनायक
भोपाल (मध्य प्रदेश)
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नारी तुम सशक्त हो
कभी लक्ष्मी, कभी दुर्गा
कभी झांसी की रानी
कांटों की राह पर चलती
नि:सहाय निर्बला नहीं
आंधी की तरह कष्टों को
चीरती प्रबल वात तुम,
प्रचंड पर्वत की तरह अटल हो।
कभी झुकती नहीं,
रुकती नहीं, टूटती नहीं
तुम समर्थ हो।
तुम मन से प्रबल
तन से सबल,
देवी का स्वरुप हो।
तुम करुणा का सागर
मानव जाति का संबल हो।
भर्तायर की सच्ची सहचरी,
राखी के बंधन को
अक्षुण्ण रखती बहना,
वात्सल्य की छाया देती जननी,
स्नेह की डोर से बंधी पुत्री,
नारी विविध रुप तुम्हारे
अभूतपूर्व, अलौकिक, अतुलनीय
जग जननी, वंदनीय
तुम्हे शत शत नमन हो।
परिचय :- भोपाल (मध्य प्रदेश) निवासी डॉ. जयलक्ष्मी विनायक एक कवयित्री, गायिका और लेखिका हैं। स्कूलों व कालेजों में प्राध्यापिका रह चुकी हैं। २००३ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संगीत ...























