स्याही
श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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रंग है तेरा स्याह,
पर अद्भुत है तेरी सुंदरता
खुद को खुद से सजाती हुई
कभी हंसती, कभी रुलाती
कभी गुदगुदाती भी है।।
हर पल हर काल की
साक्षी बनी है तू
वर्णित किया है
दुनिया का इतिहास,
दिया वेद पुराण,
महाग्रंथो का ज्ञान।।
राम रहीम गुरुनानक ईसा,
हर रूप का परिचय
कराती कालांतर से तुम।।
वीरों की गाथा,
रचनाकार की रचना को
जीवित किया है,
पन्नों पर तुमने।।
लोरियां कहानियां,
गीत-गजल, को
सुंदरता से उकेरती सी,
जीवन के नौ रूप नौ रंगों को
कारीगरी से उभरती हो तुम।।
हर पोथी हर
ग्रंथ को दिया है
अकल्पनीय रूप तुमने।।
ना हो सके अनुभूति
जिन भावनाओं की,
उनसे भी साक्षात्कार
करती हो तुम।।
ना मिटा सके कोई
अस्तित्व तेरा,
"इतना सुंदर
अविष्कार हो तुम"!!
परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
प...

























