सब ठीक है
श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उ.प्र.)
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सब ठीक है,
सब अच्छा है
थकी हुई हूं पर
हारी नहीं हो अभी तक,
"थकान" का अर्थ
आज जा के समझ आया
मीलों चले हैं,
मगर थकान" अब जा के हुई है
शायद जिंदगी की परिभाषा में
ये नया शब्द उभर कर आया है
कोई पूछे, थकान क्यूं है?
कैसे परिभाषित करूं इस शब्द को!!!
कभी कठोर शब्दों की
बारिश भी तो थका देती है।
बारिश की बूंदें जितना
सुकून देती हैं,
"थकान" की बूंदें उतनी ही
विरक्ति भर देती हैं
तपती धूप में
कोसों चलता है ये जीवन
दर बदर की भटकन को साथ लिए।
मगर तब भी न जाने क्यूं
"थकान" महसूस नही होती
जिंदगी की परिभाषा भी
अजीब उलझने पैदा करती है,
कभी जन्नत तो कभी
थका सा महसूस करती हैं
कभी तमाशा बन जाती है
तो कभी तमाशबीन की तरह
दूर खड़े हो कर खिलखिलाती है
उम्र, हालात, समय, बदल जाते हैं,
अच्छाइयां इंसान की
कमजोरी बन ज...
























