मेहनतकश
निर्मल कुमार पीरिया
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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ना ठौर कि हैं, आज फ़िकर,
कल का भी,ना था कोई गम,
चल पड़े ले पल के स्वप्न,
कल की फिर, क्यो सोचें हम...
मेहराब बन के, क्यो सजे,
जब तृप्ति हो बन नीव हम,
आज यहां, पल जाने कहा,
निर्माण नव की शान हैं हम...
ये आशिया तुम्हें ही मुबारक,
हमें हैं यही, जहाँ का सुकू,
हूँ ओढ़ता, खुला नील गगन,
मिला जमी पे,गोदी सा सुकू...
तन खारा सिंधु साथ मेरे,
हमें जहाँ से, कोई आस नही,
दिन भले हो मशक़्क़त भरा,
पर रात हम सुकू के धनी...
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परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया
शिक्षा : बी.एस. एम्.ए
सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि.
निवासी : इंदौर, (म.प्र.)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविता...























