भला कोई क्या लिखेगा
रेशमा त्रिपाठी
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश
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नन्ही परी को गुड़िया के सिवा
कोई क्या कहेगा
उसे अपनी कहानी में परियों के
सिवा कोई क्या लिखेगा।
गुड़िया शब्द में उसे बांधना
बहुत आसान हैं किन्तु!
उसके अल्हड़पन में पीछे
मातृत्व भाव पर कोई क्या लिखेगा।।
गुड़िया को गुड़िया कहना
बहुत आसान हैं
उसी गुड़िया का कौमार्यं
चित्रण करना बहुत आसान हैं।
उसे प्रकृति का श्रृंगार औ वसुन्धरा
लिखना बहुत आसान हैं
किन्तु ! सीता के त्याग और धैर्यं का
द्वंद्व कोई क्या लिखेगा।।
मीरा के भक्ति का सार
कोई क्या लिखेगा
शबरी के प्रेमानुभूति का भाव
कोई क्या लिखेगा।
माँ के वात्सल्य भाव को
लिखना बहुत आसान हैं किन्तु !
उसके प्रसव पीड़ा का दर्द रूपी
प्रेम कोई क्या लिखेगा।।
सच तो यह हैं एक नन्ही परी ही
सृष्टि का निर्माण हैं
भला इसे शब्द में कोई
कितना कहेगा
लड़की हैं ! बस इसी स्वरूप में
इसे लिखना बहुत आस...