अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है
दामोदर विरमाल
महू - इंदौर (मध्यप्रदेश)
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अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है।
अभी तो घूमना पूरा जहान बाकी है।।
अभी तो शुरूआत हुई है ज़मीन से,
अभी देखना पूरा असामान बाकी है।।
इंसान गिरता है उठता है और फिर गिरता है,
मिलता नही साथ तो वो मारा मारा फिरता है।
गर साथ हो आपका तो देखना है दुनिया मुझे,
कुछ ख्वाहिशें और कुछ अरमान बाकी है।।
अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है।
दुनिया की परख सिखाने वाला चाहिए,
जिंदगीभर का साथ निभाने वाले चाहिए।
जीत लूंगा वो जो दिल मे ठान रखा है मैंने,
बहुत बारीकियों से करना पहचान बाकी है।।
अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है।
कुछ मिले है कुछ और भी आगे मिलेंगे रास्ते,
हमने तो किया... कोई तो करेगा हमारे वास्ते।
बनाने में लगा हूँ मैं लोगो का आशियाना,
और खुदका यहां बनना मकान बाकी है।।
अभी तो और भी इम्तेहान बाकी है।
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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर...