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कविता

किताबें भी एक दिमाग रखती है
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किताबें भी एक दिमाग रखती है

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** किताबें भी, एक दिमाग रखती हैं। जिंदगी के, अनगिनत हिसाब रखती है। किताबें भी, एक दिमाग रखती हैं। किताबें जिंदगी में, बहुत ऊंचा, मुकाम रखती है। यह उन्मुक्, आकाश में, ऊंची उड़ान रखती है। किताबें भी, एक दिमाग रखती हैं। जिंदगी के, अनगिनत हिसाब रखती हैं। हमारी सोच के, एक-एक शब्द को, हकीकत की, बुनियाद पर रखती है। किताबें जिंदगी को, कभी कहानी, कभी निबंध, कभी उपन्यास, कभी लेख- सी लिखती है। किताबें भी, एक दिमाग रखती है। जिंदगी के, अनगिनत हिसाब रखती है। यह सांस नहीं लेती। लेकिन सांसो में, एक बसर रखती है। जिंदगी की, रूह में बसर करती है। . परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपन...
उनके तो रूबरू
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उनके तो रूबरू

विवेक रंजन 'विवेक' रीवा (म .प्र.) ******************** उनके तो रूबरू जश्न चलते रहे, हम अंधेरों में करवट बदलते रहे। आसमाँ इस ज़मीं से कहाँ दूर था, हम खुद को खयालों से छलते रहे। झिलमिलाते हुए चाँद को देखकर, चाँदनी में पिघलकर बहलते रहे। रहबरों की ज़ुबानी सही मानकर, हम कई बार गिरकर संभलते रहे। हमें क्या पता था धुआँ उठ रहा, हम बेखुद से बेबस सुलगते रहे। बेखबर थे सफ़र में मंज़िल से मगर, रौशनी के लिये हम मचलते रहे। हसरतों के आईने यूँ ही देखो विवेक, मुस्तकबिल के जहाँ ख्वाब पलते रहे। . परिचय :- विवेक रंजन "विवेक" जन्म -१६ मई १९६३ जबलपुर शिक्षा- एम.एस-सी.रसायन शास्त्र लेखन - १९७९ से अनवरत.... दैनिक समय तथा दैनिक जागरण में रचनायें प्रकाशित होती रही हैं। अभी हाल ही में इनका पहला उपन्यास "गुलमोहर की छाँव" प्रकाशित हुआ है। सम्प्रति - सीमेंट क्वालिटी कंट्रोल कनसलटेंट के रूप में विभिन्न सीमेंट संस्थान...
तू मेरी मैं तेरा रहूँ
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तू मेरी मैं तेरा रहूँ

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** ख्यालों में पल - पल तुझे सोचता हूँ मैं ख्वाबों में भी अब तुझे ही देखता हूँ मैं। सुकूँ मिलता है अब तुझे महसूस करके इस दिलो जां में समेटे तुझे घूमता हूँ मैं। बस यही आरजू है तू मेरी मैं तेरा ही रहूँ तेरे दिल की हर धड़कन में गूंजता हूँ मैं। लोग कहते हैं मुझको हूँ भुलक्कड़ बड़ा सब भूलकर भी एक तुझे ना भूलता हूँ मैं। पाकर तुझे जन्मों की तलाश हुई पूरी मेरी और पाने की तलाश में नहीं दौड़ता हूँ मैं। ये हाथ जब उठते हैं दुआओं के लिए मेरे तू मेरी हो हर जन्म, खुदा से मांगता हूँ मैं।   परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आक...
आज होली खेलें अपने आंगन में
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आज होली खेलें अपने आंगन में

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** आज होली खेलें अपने आंगन में। रंगों का त्योहार मनाएं फागुन में।। टेसू के रंग यूँ बरसाए , तन मन पीला हो जाये। ईर्ष्या-नफरत दूर रहे, मन प्रेम से भर भर जाए। रिश्तो के फूल खिलाए गुलशन में। आज होली खेले अपने आंगन में। हरा रंग हम ऐसे बरसाए , कण-कण हरियाली होजाए । जन-जन की भूख मिटे , घर पर खुशहाली आजाए। मेहनत के फूल खिलाए उपवन में। आज होली खेलें अपने आंगन में। वंशी कीतुम तान सुनाओ, राधा बन हम रंग बरसाएं। रंग पिचकारी भर-भर के , मन का सार संसार लुटाएं। हम तुम दोनों रास रचाए मधुबन में। आज को खेलें अपनी आंगन में। .परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा - एम.ए. हिन्दी समाज शास्त्र बी.एड. जन्म स्थान - शिकोहाबाद (आगरा) निवासी - इंदौर म.प्र. व्यवसाय - सेन्ट पाल हा. सेकेंडरी स्कूल इन्दौर से सेवानिवृत्त शिक...
मेरी रूह हो तुम
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मेरी रूह हो तुम

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** मेरा दिल मेरी धड़कन मेरी रूह हो तुम मेरी कलम से निकले अल्फाजों का एहसास हो तुम मैं चुप रहूं या बोल दूं मेरे दिल का जज्बात हो तुम मैं चांद बनूं चांदनी बनकर मुझ पर बिखर जाओ तुम मैं बादल तेरा और मेरी बारिश हो तुम मैं कजरा तेरा कजरे की धार हो तुम एहसास इतना है तो मैं कहता हूं तुम्हें लगता है जैसे आसपास ही हो तुम मेरी हसरत भरी पहली मुलाकात हो तुम जो मैं गुनगुनाता हूं वो प्यारा सा साज हो तुम मेरा प्यार मेरा ईमान मेरा जहां हो तुम हाथ बढ़ाया है तेरी तरफ अब थाम लो तुम आ अब लौट चलें तुझे लेकर अपने घर मेरा दिल मेरी धड़कन मेरा एहसास हो तुम मेरे सीने में उमड़े प्यार का तूफान हो तुम आगोश में समा कर इस तूफान को थाम दो तुम मेरा दिल मेरी धड़कन मेरी रूह हो तुम मेरी कलम से निकले अल्फाजों का एहसास हो तुम।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनी...
फागुन की चौपाल
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फागुन की चौपाल

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** होली उत्सव प्रीत का, यह रंगों का बाजार, निशदिन फागुन प्रीत, के नये पढ़ाये पाठ। अखियों ही अखियों, हुऐं रंगों के संकेत, रह रह कर महके रात भर कस्तूरी के खेत। प्रीत महावर की तरह, इसके न्यारे है रंग, बतियाती पायल हँसे, हँसे ऐड़ियाँ संग। रंगों वाले आईने, भूलें सभी गुमान, जो भीगें वो जानता, फागुन की मुस्कान। दोहे ठुमरी सखियां, फाग अभंग ख्याल, मोसम करता रतजगा, फागुन की चौपाल। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान स...
डरो नहीं
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डरो नहीं

श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' इंदौर म. प्र. ******************** कोरोना जग में घूम रहा है हिंसक क्रूर छली कपटी को, डसने पल-पल घूर रहा है चुन चुन दुश्मन मार रहा है डरो नहीं अहिंसक भोले मानव तुम्हारे पास कभी न आएगा नहीं बिगाड़ा तुमने कुछ उसका क्यों तुमको को डसने आएगा बुद्धिमान है वह इंसानो से बिन बात नहीं कुछ करता है सहता रहा अन्याय बरसों तक ललकारा जब, पानी सरसे उतरा है। . परिचय :- नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग सामान्य एवं जयपुर के उत्तीर्ण छहढाला, रत्नकरंड - श्रावकाचार, मोक्ष शास्त्र की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण अन्य शास्त्र अध्ययन अन्य प्रशिक्षण - फैशन डिजाइनिंग टेक्सटाइल प्रिंटिंग, हैंडीक्राफ्ट ब्यूटीशियन, बेकरी प्रशिक्षण आदि सामाज...
रंग वो जो दिखता है
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रंग वो जो दिखता है

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** रंग...! रंग वो जो दिखता है, या रंग वो जो चढ़ता है। दिखता तो नीला या लाल, या राधा के गालों पर गिरधर गोपाल। वो होली का गुलाल या साम्प्रदायिकता का काल वो केसरी जो हनुमान का, या रावण के अभिमान का। प्रदर्शन में मांग का, नेताओं के स्वांग का, होली में भांग का। सुहागन की मांग का। भगत सिंह की आजादी का। कसाब की बर्बादी का। खेतों में हरियाली का। तिरंगे में खुशहाली का। मां की ममता का, सैनिक की क्षमता का। मीरा में भक्ति का, राम में शक्ति का। शहरों में दंगों का, गांव में मन चंगों का। रंग वो जो दिखता है या रंग वो जो चढ़ता है। तिरंगे के तीन हैं। सबके अपने दीन हैं। फिर भी सुख दुःख सहते हैं। हम भारत वासी मिलकर रहते हैं।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा ...
होली का रंग
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होली का रंग

संजय जैन मुंबई ******************** तुम्हें कैसे रंग लगाए, और कैसे होली मनाए? दिल कहता है होली, एक दूजे के दिलों में खेलो। क्योंकि बहार का रंग तो, पानी से धूल जाता है। पर दिल का रंग दिल पर, सदा के लिए चढ़ा जाता है।। प्रेम मोहब्बत से भरा, ये रंगों त्यौहार है। जिसमें राधा-कृष्ण का, स्नेह प्यार बेसुमार है। जिन्होंने स्नेह प्यार की, अनोखी मिसाल दी है। और रंगों को लगाकर, दिलों की कड़वाहटे मिटाते है।। होली आपसी भाईचारे और प्रेमभाव को दर्शाती है। और सात रंगों की फुहार से, ७-फेरो का रिश्ता निभाती है। साथ ही ऊँच नीच का, भेदभाव मिटाती है। और लोगों के हृदय में भाईचारे का रंग चढ़ती है।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचना...
होली आई
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होली आई

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** गीत खुशी के गाओ की होली आई हंसो और हंसाओ की होली आई! मौज मस्तियों का आलम है ऋतुओं, गम सभी भुलाओ की होली आई। बुरा ना मानो रंगों के इस त्योहार में रुठे हुये को मनाओ की होली आई! मिटाकर बीज नफरत बैर द्वेष के सब खुशी के दीप जलाओ की होली आई! भाईचारा अपनापन कायम रहे दिल दिल से दिलमिलाओ की होली आई! भुलाकर गिले शिकवे पुराने से पुराने जी भर के मुस्कुराओ की होली आई!   परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तम...
करोना होली
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करोना होली

डॉ. बी.के. दीक्षित इंदौर (म.प्र.) ******************** होली खेल संग, रंग भर नयन में, पिचकारी छुओ मत नेह बरसाइये। बृज की धरा मन में धारण करो सब, बचाओ देह, मन से रंग जाइये। भय से भरा विश्व, हठ मत करो कुछ, ग़ुलाबों के फूलों से घर को सजाइये। प्यार हो राधा सा, कृष्ण की मुरली हो, नमन कर कष्ट को मिटाइये। गोबर के कंडे घृत हो गऊ का,थोड़ा सा उसमें कपूर भी मिलाइये। बैठ पास होली के रोली का टीका, फ़ीका न हो माथा झुकाइये। घर का बना भात, गुड़ डाल अच्छे से, केसर मिलाकर ढ़ंग से पकाइये। मखाने की खीर में मेवा मुठ्ठी भर, मिट्टी का एक चूल्हा जलाइये। मावा है दूषित, गुजियाँ हों गुड़ की ग़र, जो भी बनें, घर पर खिलाइये। ताला लगा द्वार, अंदर छिपे हम, खोलें न कैसे भी, द्वार मत खटखटाइये। खानी मिठाई अन्य कोई रसीली आदि, देख आज मेरे वाट्सअप पर आइये। हाथ मत मिलाओ, गले मत लगाओ, नमस्ते नमो नमः सबको सिखाइये। अंगोछा गले डाल,...
ऐसी होली हो
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ऐसी होली हो

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** भारतवासी एक बनें। राहें सबकी नेक बनें। खेतों में हरियाली हो। सबके घर खुशहाली हो। होली में सब द्वेष जलें। दिल में केवल प्यार पले। साथ में पूरी बस्ती हो। दीवानों की मस्ती हो। भेदभाव का अंत हो। बारहों मास बसंत हों। रंगों की बौछार हो। सतरंगा त्यौहार हो। सबकी ऐसी होली हो। रंग संग हमजोली हो। तन रंगे मन रंग जाए। रंग न जीवन भर जाए। ऐसे सब त्यौहार मने। मकसद केवल प्यार बने। . परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा, सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास के प्रति जन जागरण। वैज्ञानिक चेतना बढ़ाना। लेखन विधा ~ कविता, गीत, ग...
क्यों भूल गए आज
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क्यों भूल गए आज

भारत भूषण पाठक देवांश धौनी (झारखंड) ******************** क्यों भूल गए आज। नववर्ष है अपना आज।। कल तक तो खूब चिल्ला रहे थे। अँग्रेज़ी नववर्ष पर इठला रहे थे।। आज क्यों हो मौन। कहो न आज नववर्ष की शुभकामनाएं। क्यों न दे रहे आज शुभकामनाएं।। आज शान्त क्यों हो। आज क्लान्त क्यों हो।। आज ही तो नववर्ष है। देखो लताएं भी मुस्कुरा रही है। डालियां भी इठला रही है।। आज कहाँ है तुम्हारा वो ध्वनि विस्तारक यन्त्र। मौन क्यों हो आज साथ दे रही प्रकृति के सब तन्त्र।। देखो क्या आनन्दमय सा चहुँओर वातावरण है। मन आनन्दित तन आनन्दित और आनन्दित उपवन है।। देखो मैं ये नहीं कह रहा मत मनाओ आंग्ल नववर्ष। पर देखो यह अपना आनन्दमय पुनीत नववर्ष। हिन्दी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। परे हो विश्व से आतंक की घटाएं। पूरित हो सबकी सम्पूर्ण अभिलाषाएं.... . परिचय :- भारत भूषण पाठक देवांश लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' ...
होली खेलूं कैसे
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होली खेलूं कैसे

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** तुम बिन मांग सूनीहुई, सूना दिन सूनी रात, आंखें गंगा जमुना बहती, बुझ गई सारी मन की आस, रंगीन दुनिया बेरंग हुई, अपने मन को बहलाऊँं कैसे? किसे रंग लगाऊँ सजनवा? बताओ होली खेलूं कैसे? कहा था होली पर आऊंगा, सब के लिए कुछ ना कुछ ना, लाऊंगा, मुन्नी के लिए गुड़िया, तुम्हारे लिए चूड़ियां लाऊंगा, आए तो तीन रंग में लिपटे, मन को ढांढस बंधाऊँ कैसे? मैं होली खेलूं कैसे? पापा तो जैसे पत्थर हो गए, शून्य में देखा करते हैं, उदासी चेहरे पर छाई, मुंह से कुछ ना कहते हैं, गर्व है शहादत पर उनके, पर दिल को समझाऊं कैसे? मैं होली खेलूँ कैसे? मैं होली खेलूँ कैसे....? . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़ शिक्षा - एम.ए समाजश शास्त्र, बी टी आई. व्यवसाय - शासकीय शिक्षक सन् १९७७ ...
होली है
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होली है

जनार्दन शर्मा इंदौर (म.प्र.) ******************** बुरा ना मानो होली है। ढोलक कि मादक थाप पर, हाथो में रंग लिये चली टोली हैं टेसू के फुलो से रंगी ये धरती, ठंडी बयार की ठिठोली है। प्रेम के रंगो से रंग दो आज कान्हा प्यार की होली है। उड़े रंग गुलाल कहे सखी सबसे, बुरा ना मानो होली है। पत्नी होती गुस्से में लाल, पीली ,पति चढ़ाये भांग गोली बच्चे करते मस्ती पास, पड़ोस के चेहरे गुस्से से लाल हो,हो,हाहा अआ कि आवाजो पे नचवाए ढोली हैं बुरा ना मानो होली है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ससुराल में गये जमाई, सालीया देख हैं मुसकाई, जिजाजी की रंगो से, सब करती पुताई, हैं बरबस ही देती गारी, नही निकलती बोली है। बुरा न मानो होली है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,। दल बदल का खेल बुरा है, नेताओ का हाल बूरा हैं बातो का किचड़ उछाले, सत्ता हथियाने कि होड़ में अब तो खुलेआम, लगती नोटो कि बोली है। बुरा न मानो होली है.... . पर...
महिला दिवस
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महिला दिवस

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** बनी हूँ टपोरी में रा जेंडर है छोरी हटके हूँ थोड़ी कोई डारे ना डोरी निकले दिवाला जिसकी लूटूं मै खोली उसकी हो खाली मेरी भर जाये बोरी टोपी पहनाने में बाज़ी हमने मारी जीती हमेशा हमसे ये दुनिया हारी डरने लगी है हमसे दुनिया सारी नटखट नखरीली हूँ थोड़ी बेचारी जिसने भी देखा उसको लगती हूँ प्यारी विरली अनोखी सीधी सादी हूँ नारी . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी क...
ये महिला का सम्मान नही
कविता

ये महिला का सम्मान नही

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** महिला दिवस पर कार्यक्रम करना महिला का सम्मान नही महिला का फ्री टिकट करना नारी का ये मान नही नजरों मे हो हवस भरी और भाषण में नारी सशक्तिकरण बेटी बेटी करते रहते कोख मे बेटी का होता मरण ये महिला का सम्मान नही समारोह में सम्मानित करना नारी का ये मान नही अन्धविश्वास के नाम पर उसे दबाना ठीक नही घर की चारदीवारी में बन्द कर हिफाजत ठीक नही ये बँधन है सम्मान नही अपना निर्णय उस पर थोपना नारी का ये मान नही मिट्टी का पुतला समझ समझ यातना दे कर तोड़ते रहना दूर गगन में उड़ने की इच्छा पर खुली हवा से बंचित रखना महिला का सम्मान नही परम्परा की जाल में जकड़ी नारी का ये मान नही कभी ये माँ तो कभी बहन है कभी ये जीवनसाथी है धरती पर उतरी नील गगन से सबसे अनोखी जाति है बस इतनी सी बात समझना महिला का सम्मान नही पावन धरती माँ कह देना नारी का ये मान नही . प...
नारी शक्ति तुम्हें नमन
कविता

नारी शक्ति तुम्हें नमन

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** नारी शक्ति नारी शक्ति तुम्हें नमन..... नारी तुम सत्यम शिवम सुंदरम नारी तुम संसार सबल इकाई नारी तुम संसार की इंगित केंद्र बिंदु नारी तुम क्षमा दया त्याग की मूर्ति नारी शक्ति तुम्हें नमन..... नारी तुम ओजस्व_ स्रोत_ प्रवाहित नारी तुम बंधुत्व स्नेह की पावन मंदाकिनी नारी तुम पुरुष की सहयोगिनी नारी शक्ति तुम्हें नमन.... नारी तुम तेजस्वी ओजस्वी अग्नि स्वरूपा नारी तुम खिलते पुष्प सी अभिलाषा नारी तुम सीपी में मोती नारी तुम शक्ति स्वरूपा नारी तुम एक अध्याय नारी शक्ति तुम्हें नमन.... . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई ...
नारी शक्ति
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नारी शक्ति

रीना सिंह गहरवार रीवा (म.प्र.) ********************  देश विदेश की सैर कराती है वो फाइटर प्लेन चलाती चाहे हो जाना जल की तह तक या हो जाना नभ के पार नारी दुनिया देश चलाती फिर क्यों वो अबला कहलाती। क्या अचल अनल अग्नि की ज्वाला भी कभी अबला हो सकती... जो है खुद में सारा विश्व समाए कभी नही वो अबला हो सकती। माता, बहन, पत्नी जिसके हैं रूप अनेको फिर क्यों वह लूटी जाती... जो है सब की रक्षा करती क्यों वह खुद की रक्षा ना कर पाती... उठो, जागो, पहचानो खुद को तुम ही तो सर्व शक्ति कहलाती।। . परिचय :- नाम - रीना सिंह गहरवार पिता - अभयराज सिंह माता - निशा सिंह निवासी - नेहरू नगर रीवा शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंद...
रंगो का त्योहार है होली
कविता

रंगो का त्योहार है होली

कुमार जितेन्द्र बाड़मेर (राजस्थान) ******************** आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! दौड़े-खेल रंगीन रंगो से ! मस्ती का त्योहार है होली !! रंग-बिरंगे कपड़े पहने ! रंगो का त्योहार है होली !! आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! संग-ढ़ोल से झूम उठे ! संस्कृति का त्योहार है होली !! रंगीन गीतों से गूँज उठे ! गीतों का त्योहार है होली!! आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! बड़े-बुजुर्गों का रखे ध्यान ! प्रेम का त्योहार है होली !! वाद-विवादों से न घिरे ! एकता का त्योहार है होली !! आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! मिठाई-पकवान ख़ूब खाए ! खुशियों का त्योहार है होली !! नशीले पदार्थों से दूर रहे ! शांति का त्योहार है होली !! आओ बच्चों रंग लगाएं ! रंगो का त्योहार है होली !! रासायनिक रंगो का त्याग करें ! प्यार के रंगो का त्योह...
वर्तमान को जी ले
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वर्तमान को जी ले

वीणा वैष्णव कांकरोली ******************** जिंदगी हर पल, बड़े आनंद से बिताया। न ही बिगड़ा वर्तमान, भविष्य सजाया। कहाँ क्या बोलना, ये बहुत ध्यान रखा। चुप वहाँ न रही, गुनहगार मुझे बताया। सब वर्तमान हकीकत, लेखनी बताया। स्वार्थी मानव, कुछ भी समझ न पाया। ऊंची दुकान, फीके पकवान सजाया। तभी कुछ दिनों में, ताला खुद लगाया। हार मान लू मैं, पर यह मेरे बस में नहीं। प्रभु श्रेष्ठ रचना को, मैंने ना बिसराया। करती अच्छा, बड़ों का आशीष पाया। तभी भरी महफिल, सुनने जहां आया। कहती वीणा, छोड जाना सब यहाँ। फिर फालतू बातों, क्यूं समय गवाँया। . परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते है...
इंतजार
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इंतजार

चेतना ठाकुर चंपारण (बिहार) ******************** धूप में कैसी मिठास आई है। हवा में यह कैसी प्यास आई है। देख बगीचे में आई अमराई है। मंजर की सुगंध में कैसी खटास आई है। एक मौसम न जाने कितने स्वाद लाई है। महुआ के फूलों की नशा छाई हैं । नीले अंबर को घेरे काली घटा आई है। आंधी की झोंकों ने बूंदों की थपकी ने, किसी भूले की याद दिलाई है। कच्चे आमों की खटास, पके आमों में मिठास , अंदर गुठली ,प्रकृति या वक्त जो एक फल में इतने सारे बदलाव लाई हैं। कोयल की कुहू ,झिंगुर की झनझनाहट। बेहद गर्मी ,उसमें हवा की सरसराहट। फिर बूंदों की पहली बौछार। एक मौसम का इतना सारा प्यार। जिसका बेसब्री से कर रहे हम इंतजार.......इंतजार . परिचय :- चेतना ठाकुर ग्राम - गंगापीपर जिला -पूर्वी चंपारण (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हि...
मां बाप
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मां बाप

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** हकीकत को दुनिया मे पेश ना करें, अपनो के खिलाफ कभी केस ना करें। जीना है तो खुदके दम पर जियो यारों, मां बाप के पैसों पर कभी ऐश ना करें।। कमर साथ नही दे रही है अब सीढियां चढ़ने में। उम्र निकाल दी जिसने तुम्हारी ज़िद पूरी करने में। कुछ तो ज़िन्दगी निकल गई तुम्हारी बातें सुनने में, अब भी सुकून नही है थोड़ा सा वक्त बचा मरने में। कुछ ने तो अपनी दौलत भी अपनों पे वार दी। और कुछ ने अपनी ज़िंदगी खाने में गुज़ार दी। फर्क बहुत है आजकल की औलादों में साहब, चंद है जिन्होंने मां बाप की ज़िंदगी संवार दी।। शौक खत्म हो जाते है उनके, जब आप दुनिया मे आते हो। मगर तुम अपने शान के लिए, उन्हें नौकर तक बताते हो। क्या बुरे थे उस समय वो जब खूद भूखे रहते थे। तुम्हे खिलाया खुद पेट की पीड़ा सहते रहते थे। ये आजकल का नही बहुत ही पुराना किस्सा है। कोई कोई पराये न...
ज़िंदगी की रफ्तार
कविता

ज़िंदगी की रफ्तार

कुमारी आरती दरभंगा (बिहार) ****************** ज़िन्दगी की रफ्तार में, हम निकल गए इतने आगे। छूट सा गया हर मंज़र, जो इतनी रफ्तार में हम भागे। जहां कण-कण में बस्ती थी खुशियां, आज खेलते सब खूनो की होलि‌‌या। सुख- चैन का कहीं नाम नहीं है, आस्तिक को नास्तिक बनते देखा है, रामयुग से कलयुग को आते देखा है, भाई-भाई में मतभेद होते देखा है, दहेज के नाम पर आज भी नारियों का सौदा करते देखा है। हवस के शिकारी है जो, उन्हें खुले आम घूमते देखा है। अतिथि सत्कार खो गया है अरे, आज मानवता को हो क्या गया है? मानव को हो क्या गया? साथ मिलकर मानते है जहां खुशियां, आज घर के हाथ हाथ में मोबाइल का बोल-बाला है, मोबाइल का बोल-बाला है सभी धर्म ग्रंथ छूट गए पीछे, जिसे कितनो ने मन से सीचे, जिसे कितनो ने मन से सीचे। माता पिता के जो होते थे चरणों के धूल, आज जगह-जगह वृद्धाश्रम गया है खुल। कर बैठे हम क्या ये भूल? कर बैठे हम...
अय रे होली
कविता

अय रे होली

सुश्री हेमलता शर्मा "भोली बैन" इंदौर म.प्र. ****************** होलिया में उड़ी रियो रे गुलाल, कय दो इन लोगोण से, अय गयो फागुन ने होली को तैवार, कय‌ दो इन लोगोण से, केसूडी का पीला रंग की, पड़ी रय पिचकारी से मार, कय दो इन लोगोण से, म्हारी या चुनर तो भीगी रय रे, भीगी रयो हे घर द्वार, कय दो इन लोगोण से, घुटी रय ठंडई, बणी रय गुझिया, कय दो इन लोगोण से, हिली-मिली रय लो, मत करो जूतमपैजार, कय दो इन लोगोण से ।। . परिचय :-  सुश्री हेमलता शर्मा "भोली बैन" निवासी : इंदौर मध्यप्रदेश जन्म तिथि : १९ दिसम्बर १९७७ जन्मस्थान आगर-मालवा शिक्षा : स्नातकोत्तर, पी.एच.डी.चल रही है कार्यक्षेत्र : वर्तमान में लेखिका सहायक संचालक, वित्त, संयुक्त संचालक, कोष एवं लेखा, इंदौर में द्धितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत है। इससे पूर्व पी.आर.ओ. के रूप में जनसम्पर्क विभाग में कार्य कर चुकी है। लेखन विध...