माँ ….
धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)
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इंदौर रेलवेस्टेशन पर एक बुजुर्ग महिला लावारिस मिली थी, उसने बताया कि उसका बेटा उसे मुम्बई में ट्रेन में बिठा कर अभी आया बोल कर चला गया। इस मार्मिक घटना को शब्द देने का प्रयास मैंने किया है।
माँ
कहते है हर जगह ईश्वर नही जा सकता,
इसलिए उसने बनाया तुझे।
माँ
नौ माह तक कितने जतन से पाला
अपने भीतर तूने मुझे।
माँ
मेरा जन्म मर्मान्तक
प्रसव पीड़ा दे गया तुझे।
माँ
मुझे पालते घर का पेट
भी पालना था तुझे।
माँ
दिन रात मजदूरी करती थी
तू छाती से लगा कर मुझे।
माँ
तू खाली पेट हो कर भी
भरपेट दूध पिलाती मुझे।
माँ
तेरा आँचल तेरी देहगंध
बेफिक्र सुला देती थी मुझे।
माँ
तेरे हाथ की चमड़ी खुरदरी होती रही,
पॉव में छाले पड़ते रहे,
माँ
मैं बड़ा होता रहा
अहसास न होने दिया मुझे।
माँ
मैं जवान हो गया कितने गर्व से तू,
अपने आँसु छुपाते हुए देखती थी मुझे।
माँ
मेरे...